हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर फ’र्जी कॉल के आधार पर फैसले करने वाले बिहार के डीजीपी पर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि अगर कॉल करने वाला असली चीफ जस्टिस तो भी डीजीपी श’राब के मामले में गया के तत्कालीन एसपी को दो’षमुक्त कैसे कर देते।
मोदी ने डीजीपी एसके सिंघल की भूमिका को संदेह के घेरे में बताकर सीबीआई या किसी अन्य सक्षम एजेंसी से इस मामले की जांच कराने की मांग की है।
सुशील मोदी ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि जब पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के अधिकारी को बचाने और लाभ पहुंचाने का संदेह पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर है तो उनके नीचे काम करने वाली आर्थिक अ’पराध इकाई (ईओयू) निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि डीजीपी सिंघल पिछले अगस्त महीने से उस व्यक्ति से दर्जनों बार बात कर रहे थे, उसकी पैरवी को गंभीरता से ले रहे थे, जो खुद को उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बता रहा था। मगर उन्होंने फोन करने वाले की सत्यता जांचने की कोशिश क्यों नहीं की।
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि कई बार फोन पर बातें करने के बावजूद डीजीपी ने सीधे मिलकर हकीकत जानने की कोशिश क्यों नहीं की। अगर फोन कॉल फ’र्जी नहीं बल्कि असली चीफ जस्टिस का ही होता तब भी क्या श’राब पकड़े जाने के मामले में एसपी स्तर के अधिकारी को फोन-पैरवी के आधार पर राहत दी जानी चाहिए थी।
खासकर तब, जब श’राब के मामले में चार लाख लोग जेल जा चुके हों। उन्होंने पूछा कि जिस एसपी के खिलाफ एफआईआर की गई थी, उसे दो’षमुक्त करने के लिए किसके दबाव में जांच अधिकारी को छुट्टी के दौरान चेन्नई से बुलाकर क्लोजर रिपोर्ट बनवाई गई।
Be First to Comment