बिहार में नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी के आरक्षण पर नीतीश सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार सीएम नीतीश ने कमिटी गठित की, जो अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उसी के आधार पर नगर निकाय चुनाव में आरक्षण दिया जाएगा। दो दिन पहले तक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार पटना हाई कोर्ट के फैसले को गलत बता रही थी। आखिर ऐसा क्या हुआ कि सरकार एकदम से बैकफुट पर आ गई और HC से पुनर्विचार याचिका भी वापस ले ली।
दरअसल, बिहार में इसी महीने दो चरणों में नगर निकाय चुनाव होने थे। राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को मतदान की तारीख तय की। सभी तैयारियां भी हो गईं। तभी 4 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी और ईबीसी आरक्षण को गलत बता दिया। साथ ही आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग में बदलकर चुनाव कराने के आदेश दिए। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया।
नीतीश सरकार ने दिखाए तेवर
पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक लग गई। बिहार सरकार ने तेवर दिखाते हुए इस फैसले को गलत करार दिया और कहा कि इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी। कुछ दिन पहले पटना हाईकोर्ट में ही पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई। इसपर बुधवार को सुनवाई भी हुई।
हाईकोर्ट में नीतीश सरकार ने मजबूती से अपना पक्ष रखने के लिए भी पूरी जोर आजमाइश की। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विकास सिंह को बुलाया गया। उनके साथ महाधिवक्ता ललित किशोर ने भी नीतीश सरकार का पक्ष रखा। वकीलों ने बताया कि सरकार ने राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन कराने के लिए वर्ष 2006 में अत्यंत पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर अतिपिछड़ा वर्ग आयोग (ईबीसी) आयोग को ही एक समर्पित आयोग का दर्जा दिया गया है। इसके रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी गई है।
बैकफुट पर आई नीतीश सरकार
हालांकि, बुधवार को नीतीश सरकार ईबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अचानकर से बैकफुट पर आ गई। सरकार की ओर से पूर्व में गठित ईबीसी आयोग को ही4 समर्पित आयोग का दर्जा दिया और फिर इसके रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी। जेडीयू नेता प्रोफेसर नवीन आर्य को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। बिहार सरकार की ओर से पटना हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका भी वापस ले ली गई है। साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दाखिल नहीं की जाएगी।
जल्द होंगे नगर निकाय चुनाव
हाईकोर्ट के फैसले का विरोध कर रही सरकार ने अचानक अपने कदम पीछे हटा दिए। बताया जा रहा है कि सरकार अगर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की मांग करती और फिर सुप्रीम कोर्ट जाती, तो इसमें लंबा समय लग जाता। इससे नगर निकाय चुनाव में और देरी होती। राज्य सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द नगर निकाय चुनाव हो, इसके लिए हाईकोर्ट के निर्देश को मानते हुए ईबीसी आयोग का गठन हो गया है।
आयोग जल्द ही रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। फिर उसके आधार पर अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय किया जाएगा। नियमानुसार चुनाव की अधिसूचना जारी होने के छह माह के भीतर चुनाव संपन्न करा लेना होता है। ऐसे में 31 दिसंबर से पहले नगर निकाय चुनाव करा दिए जाएंगे। ईबीसी आयोग की रिपोर्ट आने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग नए सिरे से चुनाव कार्यक्रम जारी करेगा।
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