बिहार की राजधानी पटना में इस बार नवरात्र बेहद खास होगा। कोरोना पाबंदियां खत्म होने के बाद शहर में जोर-शोर से दशहरा की तैयारी हो रही है। दानापुर से पटना सिटी के बीच सैकड़ों की संख्या में थीम बेस्ड पंडाल बनाए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में पटना के बेली रोड स्थित राम जयपाल मोड़ (गोला रोड) के पास उज्जैन का दो सौ वर्ष पुराना द्वारिकाधीश गोपाल मंदिर का प्रतिरूप बनाया जा रहा है। उज्जैन के इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यहां हरिहर पर्व के मौके पर भगवान महाकाल की सवारी रात 12 बजे आती है तब यहां भगवान शिव भगवान विष्णु से मिलते हैं। इस मंदिर का प्रतिरूप पटना में पहली बार बनाया जा रहा है। इसके पहले भी रूपसपुर में कई पंडालों ने पटनावासियों को आकर्षित किया है।
हर वर्ष 5 से 6 लाख लोग पहुंचते हैं
पिछले साल यहां अजंता मूर्ति पर आधारित पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया था। इसके पहले यहां सारनाथ का बौद्ध मंदिर पंडाल बनाया गया था। यहां के पंडाल और प्रतिमाएं हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। इसको देखने के लिए पूरे शहर से हर वर्ष 5 से 6 लाख लोग पहुंचते हैं। आयोजक बताते हैं कि यहां बनने वाले पंडाल की लोकप्रियता साल दर साल बढ़ रही है। रूपसपुर मोड़ के पास इस बार पंडाल लगभग साढ़े छह हजार वर्ग फीट में बनाया जा रहा है।
जानकारों के अनुसार यह शहर का सबसे बड़ा पंडाल होगा। पंडाल की लंबाई 80 फीट और चौड़ाई 80 फीट होगी। पंडाल निर्माण के लिए बंगाल से कलाकार बुलाया गया है। पंडाल के निर्माण में ईको फ्रेंडली सामग्री का उपयोग होगा। पूजा पंडाल का बजट इस बार आठ से नौ लाख रुपये के बीच होने की संभावना है। इसे आपसी सहयोग और चंदा के माध्यम से इक्ट्ठा किया जाएगा।
ये हैं समिति में शामिल
अध्यक्ष बृज भूषण प्रसाद, व्यवस्थापक अविनाश कुमार, सचिव सुबोध यादव, कोषाध्यक्ष मुकेश कुमार
मां के रौद्ररूप की होती है पूजा
राम जयपाल मोड़ के पास श्रीश्री दुर्गापूजा समिति आदिशक्ति युवा मंच के बैनर तले होने वाले दुर्गापूजा में माता के रौद्ररूप की पूजा होती है। यहां मां दुर्गा के अलावा मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश व कार्तिकेय के साथ-साथ राक्षस की प्रतिमा बन रही है। प्रतिमा निर्माण पटना आर्ट कॉलेज के छात्र विकास कुमार कर रहे हैं।
नौ साल से स्थापित हो रही प्रतिमा
राम जयपाल मोड़ के पास दुर्गापूजा का इतिहास छोट्रा ्न प्रभावशाली रहा है। यहां नौ साल से भव्य दुर्गापूजा का आयोजन हो रहा है। 2013 में पहली बार दुर्गापूजा का आयोजन हुआ था। आयोजन समिति के अविनाश बताते हैं कि दुर्गा पूजा पर पूरे शहर में चकाचौंध रोशनी के बीच उनका मोड़ अंधेरे में रहता था। इसे देखते हुए यहां पूजा का निर्णय हुआ।
प्रसाद में मिलेगी खिचड़ी
दुर्गापूजा में यहां बड़े पैमाने पर प्रसाद का वितरण किया जाता है। सप्तमी को हलवा का भोग लगाया जाता है। अष्टमी को खीर व नौंवी को खिचड़ी का भोग लगता है। यह प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरित होता है। प्रसाद में शुद्ध घी का प्रयोग होता है। आयोजन समिति से जुड़े लोग बताते हैं कि जब तक भीड़ रहती है प्रसाद वितरण अनवरत चलता रहता है। इसके अलावा शांति पूजा के दिन यहां विशाल भंडारा करने की परंपरा रही है।
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