बिहार सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस विधायक मुरारी प्रसाद गौतम को शामिल किया गया है। मुरारी गौतम रोहतास के चेनारी(एससी) सुरक्षित सीट से विधायक हैं। 42 साल उम्र के मुरारी गौतम ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के ललन पासवान को मात देकर चेनारी सुरक्षित सीट पर जीत दर्ज किया।
मुरारी गौतम ने जदयू उम्मीदवार को 17991 मतों से पराजित किया। लेकिन, बदले राजनीतिक माहौल में वे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बन गए हैं। कांग्रेस पार्टी ने दलित कोटे से उनका नाम मंत्रिमंडल के लिए तय किया।
बिहार प्रदेश कांग्रेस ने पिछले साल पार्टी का प्रवक्ता बनाया। माना जा रहा है कि मुरारी गौतम कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास के काफी करीबी हैं। उनका जन्म 1 मार्च 1980 को एक साधारण परिवार में हुआ था। वे अनुसूचित जाति के चमार तबके से ताल्लुक रखते हैं। जातिय समीकरण को बैलेंस करने के लिहाज से मुरारी गौतम को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है।
मुरारी गौतम की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति से जुड़ी है। उनके पिता महेंद्र राम कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और रोहतास के चिटैनी पंचायत केमुखिया थे।
मुरारी ने अपने पिता का अनुसरण करते हुए कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली। वे लगातार कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में इनके पिता महेंद्र राम राजद में चले गए। राजद ने महेंद्र राम को चेनारी सीट से उम्मीदवार बनाया। फिर भी मुरारी गौतम ने कांग्रेस नहीं छोड़ा। उस चुनाव में उनके पिता की हार हुई थी।
मुरारी गौतम राजनीति के साथ-साथ समाज सेवा से जुड़े हैं। क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनकी खास पहचान है। गौतम तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने गंभीर बीमारी से ग्रस्त आयांश के इलाज का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। रोहतास के 10 साल के आयांश को 16 करोड़ के इंजेक्शन की आवश्यकता थी जिसे अमेरिका से मंगाया जाना था।
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