बिहार के मुजफ्फरपुर में वर्ष 2017 के बाढ़ के दौरान मीनापुर की गोरीगामा पंचायत में पी’ड़ितों के लिए सामुदायिक रसोई के संचालन में फ’र्जीवाड़ा पकड़ में आया है। इसपर अपर समाहर्ता ने तत्कालीन सीओ से स्पष्टीकरण की मांग की है। कहा गया है कि यदि वे तथ्यात्मक स्प्ष्टीकरण नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।
सामुदायिक किचन में गड़बड़ी की जांच दो अधिकारियों ने संयुक्त रूप से की है। डीसीएलआर पूर्वी व वरीय उपसमाहर्ता ने जो जांच रिपोर्ट दी है, वह चौंकाने वाली है।
सामुदायिक किचन में खाने वाले बच्चे थे या व्यस्क और उन्हें एक शाम खाना दिया गया या दो वक्त खाना खाया, इस बारे में सामुदायिक किचन में संधारित रजिस्टर से पता नहीं चल रहा है।
लाभूकों का नहीं है ब्योरा
इतना ही नहीं, जिला प्रशासन के निर्देश के अनुसार संधारित रजिस्टर में भी फर्जीवाड़ा किया गया है। जांच में पता चला कि 25-26 लोगों के नाम पर एक ही व्यक्ति ने खाने का हस्ताक्षर किया।
जांच में पता चला कि कई वार्ड के सामुदायिक रसोई के रजिस्टर में एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग नाम से हस्ताक्षर किए हैं। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में सामुदायिक रसोई के रजिस्टर को ही संदिग्ध बाताया है और मामले में कार्रवाई की अनुशंसा की है।
गोरीगामा पंचायत के अलग-अलग वार्डों में एक सप्ताह से 15 दिनों तक सामुदायिक रसोई का संचालन किया गया था। इसके लिए रजिस्टर में खाने वालों के नाम, उम्र, पता, खाने का समय व हस्ताक्षर दर्ज किया जाना था।
टेंट व जेनरेटर के भुगतान में भी गड़बड़ी
सामुदायिक किचन की जांच में टेंट और जेनरेटर आदि के भुगतान में भी अनियमितता पकड़ी गई है। जिस वार्ड में बाढ़ के दौरान पांच दिन ही सामुदायिक रसोई का संचालन हुआ था, वहां टेंट वाले को इससे अधिक दिनों की राशि का भुगतान कर दिया गया। अपर समाहर्ता डॉ. अजय कुमार ने बताया कि जवाब देने के लिए अंचलाधिकारी को एक सप्ताह का समय दिया गया है।
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