देश भर में जारी लॉकडाउन (Lockdown) का असर बिहार के किसानों (Farmers) पर भी पड़ रहा है. गोपालगंज (Gopalganj) के दियारा इलाके में उपजने वाले तरबूज की डिमांड नेपाल (Nepal) के अलावा दूसरे राज्यों में भी है लेकिन इस बार कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) की वजह से इस इलाके में उपजने वाले करोड़ों रूपये के तरबूज अब ख़राब होने के कगार पर हैं.
खेती से किसानों ने बदली थी अपनी किस्मत
यहां खेतों में तरबूज पककर तैयार भी हो गए हैं लेकिन ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से ये तरबूज ऐसे ही खेतो में ख़राब होने लगे हैं. तरबूज और लौकी की खेती करने वाले किसानो की बस एक ही समस्या है कि उनकी आय का मुख्य स्त्रोत इस फसल का अब कोई खरीदार भी नहीं है. गोपालगंज के दियारा इलाके में कभी बंदूके गरजती थीं. यहां जंगल पार्टी का साम्राज्य हुआ करता था सरकार बदली तो गोपालगंज के दियारा इलाके की सूरत भी बदल गई जिसके बाद इस इलाके के किसान बम्पर पैदावार से अपनी किस्मत संवार रहे हैं.
कई एकड़ में लगी है सब्जी और फल की फसल
दरअसल मांझागढ़ के निमुइया गांव में पहले आवागमन नहीं था. यहां सालों भर नाव ही एकमात्र सहारा था. लेकिन अब इस इलाके में सड़क, स्कूल , सामुदायिक भवन सब कुछ है. सड़के बनीं तो यहां के कुछ किसानों ने एक ग्रुप बनाया और अपनी छोटी सी जमापूंजी से गंडक के दियारा इलाके में तरबूज और लौकी की खेती शुरू कर दी. निमुइया गांव के किसान चन्दन कुमार सहनी के मुताबिक उन्होंने लाखों रूपये खर्च कर कई एकड़ में तरबूज की खेती की. वो 10 साथियों के साथ कई एकड़ की खेत में तरबूज और लौकी की खेती कर रहे हैं. इस तरबूज की डिमांड सीमावर्ती नेपाल में ज्यादा है.
नेपाल समेत अन्य राज्यों से आते हैं कारोबारी
नेपाल के अलावा यूपी ,बंगाल और दूसरे राज्यों के व्यापारी यहां आते थे और करीब 04 से 05 करोड़ रूपये के तरबूज, लौकी , खीरा और ककड़ी का व्यवसाय करते थे. लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से पूरे देश में ट्रांसपोर्ट बंद है. जिसकी वजह से कोई व्यापारी यहां नहीं आ रहा है. उनके नहीं आने से यहां 20 से 30 रूपये प्रति पीस बिकने वाले तरबूज 5 रूपये में भी कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. खरीदार नहीं मिलने से उनकी उपज ख़राब होने लगी है.
एसडीएम बोले- मांगने पर दी जाएगी मदद
सदर एसडीएम उपेन्द्र कुमार पाल ने बताया कि उन्हें किसानों के नुकसान की कोई सूचना नहीं है. सब्जी सही अन्य आवश्यक चीजों के ट्रांसपोर्टेशन में कोई पाबन्दी नहीं है और अगर किसान उनके संज्ञान में मामला लाते हैं तो वो उन्हें ट्रांसपोर्ट और अन्य सुविधाओं के लिए परमिशन दी जाएगी.
Source: News18
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