2020-21 में कोरोना वायरस का प्रको’प होने के बाद अन्य प्रदेशों से मजदूर पटना लौट आए थे, लेकिन पुन: अपने कार्यस्थल पर चले गए हैं। पिछले साल की तुलना में पटना जिले में लगभग 18 हजार मजदूर रोजी-रोटी के लिए पलायन कर गए हैं। ऐसे मजदूरों के परिवार यहां तो हैं, लेकिन वे पंजाब, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, यूपी जैसे राज्यों में काम कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, पटना जिले में 92 हजार 899 मजदूरों का जॉब कार्ड बनाया गया है। इनमें 12 हजार 976 मजदूर ऐसे हैं, जो ग्रामीण इलाकों में चल रहे मिटटी कार्य में कार्यरत हैं। पिछले साल यहां काम करने वाले मजदूरों की संख्या 30 हजार से अधिक थी लेकिन जैसे ही कोरोना काल समाप्त होने के बाद अन्य प्रदेशों में कारखाने या संस्थान खुले तो मजदूरों का भी पलायन हो गया।
पटना जिले में किसी न किसी रूप में 22 हजार 710 मजदूर काम कर रहे हैं लेकिन इसमें से नियमित कार्य करने वालों की संख्या 12 हजार से अधिक है। हालांकि मजदूरों के समक्ष वर्तमान समय में भुगतान की समस्या है। यह पिछले 25 दिनों से लंबित पड़ा हुआ है। अधिकारी इसका मुख्य कारण राशि आवंटन नहीं होना बता रहे हैं। इससे मजदूरों के समक्ष समस्या हो गई है। सबसे अधिक मजदूर ग्रामीण इलाकों में तालाब, आहर, पइन, पोखरा आदि की खुदाई में लगे हुए हैं।
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