कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ने से बच्चों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता मानों ख़त्म-सी हो गयी हैं। इस समस्या से बाहर निकलने के लिए किस्से-कहानी से बच्चों में पढ़ने-लिखने की आदत डालने के लिए सरकारी स्कूलों में सप्ताह में दो घंटी लाइब्रेरी की होगी।
नए सत्र में नए टाइम-टेबल के तहत बच्चों को किस्से-कहानियों के संसार के माध्यम से पढ़ाई से जोड़ा जाना है। इसके लिए 30 मार्च तक स्कूलों में विभाग की ओर से किताबें पहुंचा दी जाएंगी। यही नहीं, बच्चे हर दो सप्ताह पर रोल प्ले करेंगे। पिछले दो सप्ताह में पढ़ी कहानी-कविताओं से संबंधित ही रोल प्ले होगा।
बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से ही स्कूलों में दी जाने वाली कहानी और कविता की किताबों का चयन किया गया है। इसमें ए फ्रेंड इज नीड से लेकर द अलर्ट हाउस जैसी कहानी हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में होगी। हर स्कूल में किताबों के सेट पहुंचाने को लेकर जवाबदेही दी गई है।
राज्य परियोजना निदेशक श्रीकांत शास्त्री ने सभी जिलों के डीईओ और डीपीओ को निर्देश दिया है कि हर हफ्ते किताबों के बीच बच्चों को समूह में बैठाया जाए, ताकि बच्चे दो साल में जो लर्निंग गैप झेले हैं, उससे बाहर निकल सकें। लाइब्रेरी में बच्चों के बीच शिक्षक भी होंगे, जो कहानी-कविता के माध्यम से पढ़ाएंगे।ख़बरों के मुताबिक, निदेशक ने निर्देश दिया है कि सभी स्कूलों में विद्यार्थी पुस्तकालय परिषद का गठन कर लिया जाए। बच्चों के शब्द भंडार में वृद्धि, भाषा विकास, कम्यूनिकेशन स्किल, कल्पना शक्ति का विकास और पढ़ने-लिखने की आदत विकसित करना इसका मुख्य लक्ष्य है।
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