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प्रसिद्ध कथक कलाकार पंडित बिरजू महाराज का नि’धन

भारत और दुनिया में कथक नृत्य के सबसे बड़े नर्तक बिरजू महाराज का निध’न हो गया है। बिरजू महाराज का नि’धन दिल का दौ’रा पड़ने से हुआ। वह 83 साल के थे। उनके नि’धन पर भारत के कला जगत में शो’क है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐसी क्ष’ति बताया है जिसकी भर’पाई नहीं हो सकेगी।बिरजू महाराज कथक नृत्य परंपरा से जुड़े प्रख्यात लखनऊ घराना से ताल्लुक रखते थे। उनके दादा, पिता, चाचा सभी मशहूर कथक नर्तक रहे थे। लखनऊ घराना के कथक नर्तक नवाब वाजिद अली शाह के दरबार से शुरू हुई कथक परंपरा की विरासत से जुड़े थे। बिरजू महाराज लखनऊ के प्रख्यात कालका-बिंदादीन घराने में पैदा हुए थे। उनका पूरा नाम  बृजमोहन नाथ मिश्रा था।

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बिरजू महाराज को अपने पिता और चाचाओं से नृत्य की तालीम मिली। 7 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति दी थी। लखनऊ परंपरा के कथक नर्तक, जिनमें खुद बिरजू महाराज भी शामिल थे, खुद को नवाब वाजिद अली शाह के दरबार से शुरू हुई इसी कथक परंपरा की विरासत से जोड़ते थे। सत्यजीत रे ने 1977 में ‘शतरंज के खिलाड़ी’ फिल्म बनाई थी। इसमें नवाब वाजिद अली शाह से जुड़ी कहानी भी है। इसमें बिरजू महाराज ने कोरियोग्रफी की थी।देश भर में शोक बिरजू महाराज ना केवल खुद एक निपुण नर्तक थे, बल्कि वह कथक के बेहद सम्मानित गुरु भी थे। वह भारत के कई बड़े नृत्य संस्थानों में बच्चों को कथक सिखाते थे। 90 के दशक में उन्होंने दिल्ली में अपना नृत्य स्कूल ‘कलाश्रम’ शुरू किया। उन्बें तबला और नाल बजाने का भी बहुत शौक था। कई तरह के वाद्य यंत्रों में उनकी निपुणता थी।

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इतना ही नहीं, इसके अलावा वह खुद भी बहुत अच्छे गायक थे, ठुमरी, दादरा और भजन गाया करते थे। ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में फिल्माया गया गीत ‘कान्हा मैं तोसे हारी’ भी बिरजू महाराज ने गाया था। दिलचस्प यह है कि इस भैरवी को लिखा था, बिंदादीन महाराज ने, जो रिश्ते में बिरजू महाराज के दादा कालिका प्रसाद के सगे भाई थे।

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बिंदादीन महाराज ने ही बिरजू महाराज के पिता अच्चन महाराज को कला की तालीम दी थी। इस फिल्म में नवाब वाजिद अली शाह के दरबार को दिखाया गया था। बिरजू महाराज के पूर्वज खुद भी कभी इस दरबार का हिस्सा रह चुके थे।  बिरजू महाराज के नि’धन पर कई बड़ी हस्तियों ने शो’क जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके लिखा कि बिरजू महाराज के नि’धन से वह बेहद दु’खी हैं। बिरजू महाराज की मौत पूरे कला संसार के लिए ऐसी क्ष’ति है, जिसकी कोई भरपाई नहीं हो सकती है।

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