अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर विश्व हिंदू परिषद के 30 साल पुराने डिजाईन पर आधारित होगा. सरकार द्वारा नियुक्त श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी है. जिस मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण होना है, उसे राम जन्मभूमि न्यास द्वारा बनाया गया था. राम जन्मभूमि न्यास विश्व हिंदू परिषद से संबंधित ट्रस्ट है, जिसका गठन साल 1985 में राम मंदिर निर्माण के लिए किया गया था.
खबर के अनुसार, मंदिर में 424 पिलर होंगे, जिनकी माप 16 फीट होगी. छत नक्काशीदार होगी और राम लला के लिए एक खास और भव्य सिंहासन का भी निर्माण किया जाएगा. राम मंदिर परिसर में सीता रसोई, धर्मशाला, भजन के लिए अलग से परिसर, गर्भगृह, एक सिंह द्वार और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक रंग मंडप भी होगा.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का कहना है कि राम मंदिर निर्माण में देरी ना हो, इसलिए मौजूदा मॉडल से ही मंदिर निर्माण का फैसला किया गया है. इस मॉडल के तहत मंदिर दो मंजिला होगा। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर के डिजाइन में किसी तरह के बदलाव जैसे कि मंदिर की ऊंचाई को बढ़ाना या तीसरी मंजिल के निर्माण का फैसला बाद में लिया जाएगा.
चंपत राय ने बताया कि हमारी प्राथमिकता विहिप के मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण करना है. मंदिर का 70 प्रतिशत ग्राउंड वर्क पूरा हो चुका है, क्योंकि 200 से ज्यादा मजदूर बीते तीन दशकों से मंदिर निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाले पत्थरों की नक्काशी में जुटे थे. ऐसे में मंदिर के ढांचे को तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास और तीन अन्य सदस्यों ने गुरुवार को पीएम मोदी से उनके आवास पर मुलाकात भी की. बताया जा रहा है कि जब तक राम मंदिर का निर्माण होगा, तब तक राम लला की प्रतिमा को राम जन्मभूमि मंदिर स्थल पर एक अन्य मंदिर में शिफ्ट किया जाएगा.
(इस खबर को मुजफ्फरपुर न्यूज़ टीम ने संपादित नहीं किया है. यह jansattaफीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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