मुजफ्फरपुर की पहचा’न शाही लीची अब वि’देशी बा’जारों में धूम म’चायेगी। इसके लिए जिले में एक्स’पोर्ट एक्श’न प्लान तैयार किया जाएगा। हाल में ही जिले में गठित निर्यात संव’र्धन समिति लीची को विदेशों में बाजार उप’लब्ध कराने के लिए प्लान तैयार करेगी। विदेश व्या’पार निदेशा’लय के स्तर से लीची का निर्यात होगा।
समिति ने नि’र्यात के लिए जिले से लीची का च’यन किया है। लीची के चयन के बाद राज्य के उ’द्योग विभा’ग ने जिले को एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है। उद्योग नि’देशक के पत्र के बाद जिला उद्योग केंद्र ने लीची के निर्या’त के लिए जरूरी कार्रवाई शुरू कर दी है। केंद्र सर’कार की पहल पर केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य मं’त्रालय एवं विदेश व्यापार निदेशा’लय ने हर जिले से एक उत्’पाद के निर्यात के लिए राज्यों व जिलों के साथ सम’न्वय बना’कर कार्य शुरू किया है। इस पूरी कवायद की निगरानी प्रधा’नमंत्री का’र्यालय (पीएमओ) करेगा।
लीची के नि’र्यात के लिए जिले में संस्थाग’त मशीनरी विक’सित करने के निर्देश दिए गए हैं। नि’र्यात के लिए ली’ची की क्वा’लिटी व लाइफ बढ़ाने आदि पर जोर दिया जा’एगा। जिला उद्योग केंद्र के जीए’म पीके सिन्हा ने बताया कि विभाग के पत्र के आलो’क में लीची के नि’र्यात के लिए जरूरी तै’यारी शुरू कर दी गई है।
हर वर्ष सौ टन ली’ची पल्प का होता है निर्या’त:
हर साल जिले से यू’रोप के आ’धा दर्जन देशों में सौ टन लीची के पल्प को नि’र्यात किया जाता है। वहां पल्प से श’र्बत तैयार किया जाता है। हा’लांकि, 20 साल पूर्व तक लीची का निर्या’त यूरोप के देशों में होता था। हर वर्ष 20 टन लीची भेजी जाती है। लीची पल्प के उद्यमी व निर्या_तक आरके केडिया ने ब’ताया कि बीते कुछ वर्षों में थाईलैंड की लीची मुजफ्’फरपुर की ली’ची को विदेशों में चु’नौती देने लगी। वर्ष 2001 के बाद वि’देशों में जिले से लीची का नि’र्यात बंद हो गया। बताया कि विदे’शों में अच्छी कीमत मिलती है। इससे किसानों, व्यवसा’यियों व निर्यात’कों को काफी फायदा
होता है।
Be First to Comment