भागलपुर और खगड़िया जिले को सीधी सड़’क से जोड़ने के लिए अगुवानी और सुल्तानगंज के बीच गंगा पर पुल बनना अभी शुरू ही हुआ है, मगर ये जिले बोली के जरिए पहले से जुड़े हैं। अंगि’का भाषी दोनों जिलों में इत्तफा’कन दूसरे चरण में एक साथ चुनाव है। पांच सीटें भागलपु’र जिले की तो चार सीटें खगड़ि’या जिले की। जिले दो जरूर हैं, मगर इन नौ सीटों में बहुत सारी बातें एक-सी हैं।
गंगा नदी और उसके समा’नांतर दौड़ते एनएच-31 के किनारे दोनों जिले की कम से कम चार सीटें हैं। उधर से खगड़िया और बेल’दौर तो इधर से भागलपुर, बिहपुर, गोपालपुर और पीरपैंती। इन जिलों से गंगा के अलावा कोसी समे’त अन्य कई छोटी नदियां बहती हैं। इन नदियों का पानी ही परेशानी का सब’ब भी है। खगड़िया का फरकियां यूं ही नहीं कहा जाता। पानी ही तो इला’के को टुकड़ों-टुकड़ों में फरक कर देता है। और हां, पानी ही जिंदगानी भी है इन जिलों के लिए। कृषि पर आ’श्रित लोगों की इकहरी फस’ल इस पानी के बूते होती है। दूसरी फस’ल बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है, यह भी सच है।
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दियारे में हर साल डू’बती फसलें, कटाव की जद में जाती उप’जाऊ और बास की जमी’न, पानी के प्रहार से ध्वस्त होती सड़कों के कारण आने-जाने के मुश्किलात झेलते यहां के लोग जद्दोज’हद करना जानते हैं। खेतों में खड़े पानी में धान उगा लेते हैं। पानी उतर रहा है तो म’क्का उपजा लेते हैं। जमीन दल’दली है तो केला लगाकर निश्चिंत हो जाते हैं। हां, जब कभी जान पर बन आए तो शासन-व्यव’स्था को कोसते हैं। क्या करें, कोसी डुबो कर मार भी तो देती है। जान बख्श दे तो बीमार जरूर कर देती है। इसलिए लोग अपने नेताओं से शहरों के लिए सुर’क्षा तटबंध, गांवों के लिए पुल-पुलिया और इलाज के लिए अस्प’ताल मांगते हैं। जहां अस्पताल हैं, वहां के लिए डॉक्टर मांगते हैं। जो उपजाते हैं, उससे कमाई अच्छी हो जाए, इसलिए फूड पार्क मांगते हैं। दुर्भाग्य, इनकी मांग इस चुनाव में मुद्दा नहीं है। किसी प्रत्या’शी की जुबान पर नहीं आता कि कोसी और बागम’ती के कहर से आपको बचाने के बंदो’बस्त किए जाएंगे।
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नौ सीटों में पांच एनडीए के पास
खग’ड़िया-भागल’पुर की नौ सीटों में से अभी पांच जदयू के पास है तो तीन राजद और एक कांग्रेस के पास। यानी महागठ’बंधन के खाते में चार सीटें हैं। जदयू की पांच में से तीन सीटें खगड़ि’या में ही हैं। चौथी राजद के पास। जदयू इस दफे चारों सीटों पर किस्मत आजमा रही है। बेलदौर से पन्नाला’ल पटेल और खगड़िया से पूनम देवी यादव तो मैदान में फिर डटी ही हैं, परबत्ता में आरएन सिंह सत्ता हस्तांत’रण की चाह रखते हैं। इस बार पुत्र को मैदान में उतारा है। अलौली सुरक्षि’त में राजद ने उम्मीदवार बदल दिया है। जदयू यहां भी मैदान में है।
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भाजपा भाग’लपुर के मैदान में है। शहरी सीट पर नया चेहरा कमल खिलाना चाहता है। बिह’पुर में पत्नी की जगह बुलो मंडल खुद मैदान में उतर गए हैं। सांस’दी छूटी तो विधायकी फिर से करने की चाहत है। चुनौती भाजपा से है। नाथनगर में जदयू ने लक्ष्मीकांत मंडल पर फिर भरो’सा जताया है। टक्कर दे रहे हैं राजद के सिद्दिकी साहब। पीरपैंती में टक्क’र राजद और भाजपा के बीच है। भागलपुर के चुनावी रण में लोजपा बड़े फैक्टर के रूप में सामने है। एनडीए और महाग’ठबंधन दोनों के चेहरे पर चिंता की लकीरें लोजपा के नाम की ही हैं। भागलपुर शहर, नाथनगर, गोपा’लपुर में लोजपा दम दिख रही। पीरपैंती और बिहपुर में चिराग पासवान ने भाजपा से किया एकत’रफा वादा निभाया, जिसे भागलपुर शहर में तोड़ दिया। यहां भाजपा के खिला’फ युवा राजेश वर्मा को खड़ा कर दिया है। अजित और रोहित दोनों को बंगला निशा’न नापसंद आ रहा है।
सीटों का हिसा’ब
कुल सीटें 09
भागलपुर, नाथनगर, पीरपैंती, बिहपुर, गोपालपुर, खगड़िया, परबत्ता, चौथम और अलौली।
जदयू 05 (भागलपुर में 02)
राजद 03 (खगड़िया में 01)
कांग्रेस 01
मुद्दे, जिस पर बात हो रही
अमन-शांति, सामाजि’क सौहा’र्द, हर घर नल-जल, नशामुक्त समाज, जलज’माव से मुक्ति, शहरों में बाइपा’स आदि।
मुद्दे, जो अ’छूते रह गए
कटाव निरोधी उपा’य, बाढ़ से विस्था’पितों का पुन’र्वास, मेगा फूड पार्क, अस्पता’लों में डॉक्टर, प्रखंड का दर्जा आदि।
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