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बिहार के बेघर परिवारों को मिलेगा पीएम आवास, सर्वे शुरू; जान लें योजना की शर्तें

बिहार के बेघर परिवारों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना-ग्रामीण (पीएम आवास) के जरिए पक्का मकान की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग ने शुक्रवार 10 जनवरी को घर-घर सर्वे शुरू कर दिया है। इसके तहत उन परिवारों की पहचान की जाएगी, जिनके पास खुद का पक्का मकान नहीं है या वे बेघर हैं। हालांकि, इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें दी गई हैं। सरकार की ओर से आखिरी बार 2018-19 में सर्वे कराया गया था, जिसमें चयनित 11 लाख लाभार्थियों को अभी आवास मिलना बाकी है। इनमें से इस साल 2.40 लाख घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई है।ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह सर्वेक्षण राज्य की सभी पंचायतों में किया जाएगा। इसमं असिस्टेंट लेवल के कर्मी, पंचायत सेवक और पंचायत सचिवों की मदद ली जाएगी। यह सर्वे 31 मार्च को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सर्वे के दौरान कर्मी घर-घर जाकर यह देखेंगे किन परिवारों के पास पक्के मकान हैं या फिर वे झोपड़ी में रहते हैं या फिर बेघर हैं।

सूत्रों के अनुसार पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के चयन के लिए कई तरह के मानदंड तय किए गए हैं। जैसे कि परिवार की मासिक आय 15000 रुपये या उससे ज्यादा नहीं होनी चाहिए। घर में दो पहिया या तीन पहिया वाहन नहीं होना चाहिए, साथ ही परिवार के पास किसी तरह की जमीन न हो, वे बेघर हों। भीख मांगकर, दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालने वाले लोगों को इस योजना का लाभ दिया जाता है।

IMG-20241030-WA0000-1024x682-2-1.jpg (1024×682)हाल ही में इस योजना में कुछ और मानदंडों को जोड़ा गया है। जिन परिवारों के पास तीन या चौपहिया वाहन है, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सीमा 50000 या उससे ज्यादा है, आयकर या व्यावसायिक कर का भुगतान करते हैं या फिर परिवार के किसी भी सदस्य की मासिक कमाई 15000 रुपये या उससे ज्यादा है, तो उन्हें इस योजना से बाहर कर दिया जाएगा।

बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के नए लाभार्थियों का सर्वे लगभग 6 साल के बदा किया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य उन परिवारों की पहचान करना है, जो बेघर हैं और पीएम आवास योजना के लाभार्थी होने के मानदंडों को पूरा करते हैं। सर्वे के बाद ऐसे परिवारों की पहचान कर उनका पीएम आवास योजना के लिए सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद उनका नाम मकान आवंटन की लिस्ट मं डाल दिया जाएगा।

पीएम आवास योजना-ग्रामीण के जरिए हर लाभार्थी को मनरेगा के तहत श्रम लागत के साथ घर बनाने के लिए 1.30 लाख रुपये मिलते हैं। राज्य सरकार द्वारा अलग से उन लाभार्थियों को जमीन खरीदने के लिए 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी देती है।
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