मुजफ्फरपुर : नए डीजीपी बने आलोक राज ने बिहार पुलिस के मुखिया के रूप में कमान थाम ली है। इस उपलब्धि से जीडीपी के पैतृक गांव में जश्न का माहौल है। वे मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड के गोपालपुर नेउरा गांव के मूल निवासी हैं। पुलिस प्रमुख बनने की जानकारी मिलते ही गांव में लोगों ने आतिशबाजी की। एक-दूसरे को मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया। पड़ोसी व सरैया के पूर्व प्रमुख मो. उमर अंसारी ने बताया कि वर्तमान में आलोक राज का पूरा परिवार पटना के कंकड़बाग कॉलोनी में रहता है। हालांकि गांव में नियमित आना-जाना लगा रहता है।
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार करीब छह महीने पहले मोतिहारी से लौटने के क्रम में गांव आए थे। लोगों ने बताया कि आलोक राज के पिता परमेश्वर प्रसाद सांख्यकी विभाग में निदेशक रहे हैं। रिटायर होने के बाद हर माह गांव में आते हैं। आलोक राज की दो संतानों में एक पुत्र व एक पुत्री है। बेटा सुप्रीम कोर्ट में वकील है। बेटी अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रही है। हाल ही में बेटी के एमबीए के डिग्री समारोह में भाग लेने के लिए आलोक राज व उनके पिता के साथ ही परिवार के अन्य सदस्य अमेरिका गए थे।
आलोक राज के ससुर डीएन सहाय (दिनेश नंदन सहाय) भी राज्य के डीजीपी रह चुके हैं। उमर अंसारी के मुताबिक आलोक राज की शादी के समय उनके ससुर डीजीपी के पद पर आसीन थे। सेवानिवृत्त होने के बाद छत्तीसगढ़ व त्रिपुरा के राज्यपाल भी रहे थे। करीब छह साल पहले उनका निधन हो गया था।
गोपालपुर नेउरा गांव के बेटे आलोक राज को डीजीपी बनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए ग्रामीणों ने बैठक कर केंद्र व राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है। पूर्व प्रमुख मो. उमर अंसारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में रमण लाल, शिव भगत, सरपंच रेणु देवी, मोहन राय, मो. मुमताज, राजेंद्र पासवान, प्रो. समीउल कादरी, मो. सत्तार, मो. शमीम, मुकेश भगत, हरिशचंद्र पासवान व अन्य मौजूद रहे।
शुक्रवार को आलोक राज ने राजविंदर सिंह भट्टी से विधिवत बिहार के डीजीपी का प्रभार ले लिया। हालांकि उन्हें कार्यकारी डीजी बनाया गया है। कमान थामने के बाद वे एक्शन में आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य का आम जनता के लिए उनके कार्यालय के द्वार हमेशा खुले हैं। विधि व्यवस्था के सुचारु संधारण के लिए डीजीपी ने अपने सभी अफसरों को 6 ‘स’ का टिप्स दिया है। कहा है कि पुलिस समय पर संवेदनशीलता और सख्ती के साथ सार्थक कार्रवाई करे। सत्यनिष्ठा पुलिस की कार्यशैली का आवश्यक अंग होना चाहिए और स्पीडी ट्रायल से अपराधियों को सजा दिलाना चाहिए।
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