प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार के गठन की प्रक्रिया जारी है। इस बार मोदी कैबिनेट का स्वरूप पिछले दो कार्यकाल के मुकाबले अलग नजर आने वाला है। बीजेपी की सीटों की संख्या घटने के चलते पीएम मोदी की पार्टी की अपने सहयोगी दलों पर निर्भरता बढ़ गई है। ऐसे में बिहार से बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों की संख्या भी घटेगी। इसके बजाय एनडीए के अन्य घटक दल जेडीयू, लोजपा रामविलास और हम के नेताओं को कैबिनेट में ज्यादा तरजीह दी जाएगी। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से तीन-चार, चिराग पासवान की लोजपा रामविलास से एक या दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। वहीं, हम के टिकट पर गया से जीते जीतनराम मांझी की भी मोदी कैबिनेट 3.0 में एंट्री हो सकती है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार से कितने मंत्री जगह पाएंगे, यह आने वाला वक्त बताएगा। हालांकि, यह तय है कि बीजेपी के कई मंत्रियों को हटाया जाएगा और मौजूदा गणित के कारण इस बार कुछ नए चेहरों को जगह मिल सकती है।” बता दें कि पिछली मोदी कैबिनेट में बीजेपी के बिहार से चार मंत्री थे। इनमें आरके सिंह आरा से इस बार चुनाव हार गए, तो बक्सर से अश्विनी चौबे का पार्टी ने टिकट काट दिया था। वहीं, गिरिराज सिंह बेगूसराय और नित्यानंद राय उजियारपुर से जीतकर फिर संसद पहुंचे हैं। हालांकि, इन दोनों नेताओं की भी कुर्सी खतरे में नजर आ रही है।
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी बिहार से नए चेहरों को कैबिनेट में मौका दे सकती है। इनमें जातिगत समीकरण का भी खास ध्यान रखा जाएगा। गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय को मोदी कैबिनेट 3.0 में जगह मिलेगी या नहीं, इस बारे में अभी पार्टी के नेता स्पष्ट नहीं कह रहे हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर नजर डालें तो बिहार में बीजेपी के मुकाबले उसके सहयोगी दलों ने बेहतर प्रदर्शन रहा। बीजेपी और जेडीयू ने बराबर 12-12 सीटों पर जीत दर्ज की लेकिन नीतीश की पार्टी का स्ट्राइक रेट ज्यादा है। बीजेपी ने बिहार में जहां 5 सीटें हारीं, वहीं जेडीयू को चार पर ही मात मिली। वहीं, चिराग की पार्टी लोजपा रामविलास ने अपने कोटे की सभी सीटों पर जीत दर्ज की। जीतनराम मांझी भी अपने पार्टी से अकेले चुनाव लड़े और जीत गए। बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटों पर कब्जा जमाया।
सामाजिक विश्लेषक डीएम दिवाकर का मानना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नीतीश कुमार को एनडीए सरकार पर कंट्रोल रखने का ज्यादा मौका मिलेगा। वह एक ऐसे नेता हैं जो राजनीतिक रूप से बहुत चतुर हैं और जानते हैं कि कब और कैसे अपने पत्ते खेलने हैं। बिहार विधानसभा के चुनाव में बस एक साल बाकी है। हो सकता है कि वे केंद्रीय कैबिनेट में पदों की संख्या को नजरअंदाज कर आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी से सीटों के मामले में ज्यादा मोलभाव करें।
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