पटना: इंडिया गठबंधन ने बिहार में चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। सोमवार को गठबंधन के वरीय नेताओं ने साझा तौर पर ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं की। इसके पहले इंडिया गठबंधन से जुड़े नेताओं की अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में ही अधिकतर सभाएं हुई थीं। आगे और साझा सभाएं आयोजित करने की तैयारी है।
सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीन चुनावी सभाएं कीं। माहभर बाद बिहार आए कांग्रेस नेता ने पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के अंशुल अविजीत, पाटलिपुत्र से राजद की डॉ. मीसा भारती और आरा लोकसभा क्षेत्र से भाकपा माले के प्रत्याशी सुदामा प्रसाद के पक्ष में लोगों से वोट मांगे। तीनों चुनावी सभा में इंडिया गठबंधन से जुड़े सभी वरीय नेताओं की उपस्थिति रही।
इसके पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 26 मई को सासाराम और पटना साहिब में जनसभा को संबोधित किया था। रविवार को पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के लिए श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में हुई चुनावी सभा को राजद सहित इंडिया गठबंघन के सभी घटक दलों के नेताओं ने संबोधित किया।
राजद-माले के तीन, कांग्रेस के दो उम्मीदवारअंतिम चरण में आठ सीटों नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद में एक जून को मतदान होना है। इसमें से नालंदा, आरा और काराकाट लोकसभा सीट पर भाकपा माले के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। जबकि पाटलिपुत्र, बक्सर और जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र राजद के कोटे में है। सासाराम और पटना साहिब सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।
अंतिम चरण की सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन के नेता खासे उत्साहित हैं। यही कारण है कि गठबंधन के तमाम वरीय नेता इन सीटों पर साझा चुनाव प्रचार कर रहे हैं। दूसरे चरण के चुनाव के लिए 20 अप्रैल को राहुल गांधी की सभा हुई थी। इसमें राजद नेता तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। भागलपुर से कांग्रेस प्रत्याशी अजित शर्मा के लिए राहुल ने वोट मांगा था। इसके एक दिन पहले 19 अप्रैल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा किशनगंज और कटिहार में हुई थी।
तब इंडिया गठबंधन के साथी दलों के बड़े नेताओं की उपस्थिति मंच पर नहीं दिखी थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बिहार में दूसरी चुनावी सभा 12 मई को समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी के पक्ष में हुई थी। हालांकि प्रथम चरण से लेकर अब तक एनडीए की तुलना में इंडिया गठबंधन के बड़े नेताओं की संयुक्त सभा बहुत कम ही हुई है।
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