मुजफ्फरपुर: उत्तर बिहार के कई सांसद व केंद्रीय मंत्रियों ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी लोकसभा चुनाव में दम दिखाते हुए संसद तक पहुंचने में सफलता पाई है। मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, वैशाली और सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र इसका उदाहरण हैं। भाजपा, जदयू और लोजपा के प्रत्याशियों ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में दिग्गजों को पटखनी दी। आरएलजेपी अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को खगड़िया जिले के अलौली विधानसभा से 2015 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। उस वक्त पारस लोजपा के प्रत्याशी थे। उन्हें राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले चंदन राम ने हराया था।
पशुपति कुमार पारस को राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाया गया था। जदयू के एनडीए में शामिल होने पर नीतीश सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बनाया गया था। 2019 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। इसके बाद लोजपा ने हाजीपुर लोकसभा सीट से पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया। उन्होंने राजद प्रत्याशी पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को हराया। लोजपा से अलग होकर आरएलजेपी बनाने पर उन्हें मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री बनाया गया।
सीतामढ़ी लोक सीट पर 2019 में जदयू प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू का मुकाबला राजद के पूर्व मंत्री अर्जुन राय से था। सुनील कुमार पिंटू 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर हार चुके थे। 2019 में सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर जदयू प्रत्यायशी के तौर पर उन्होंने राजद प्रत्याशी अर्जुन राय को हरा दिया।
मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से वर्तमान भाजपा सांसद अजय निषाद हैं। वे 2005 में कुढ़नी विधानसभा सीट पर राजद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव हार गए थे। 2014 में अजय निषाद ने लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस प्रत्याशी डॉ़ अखिलेश प्रसाद सिंह को 222422 वोट से हरा दिया था।
वैशाली लोकसभा सीट पर 2014 में महनार विधानसभा से चुनाव हार चुके लोजपा प्रत्याशी राम किशोर सिंह ने राजद के पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया। गायघाट से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव हार चुकीं वीणा देवी ने 2019 में लोजपा से लोस चुनाव में वैशाली सीट पर रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया।
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