पूर्वी चंपारण: आम्रपाली व मल्लिका आम अपने स्वाद और खुबसूरती के लिए मशहूर है। सिर्फ 80 दिनों में तैयार होने वाला और रोपण के दूसरे ही साल से फल देने की विशेषता से भरे आम की इस अनूठी प्रजाति की खेती को चंपारण में बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। आम के उन्नत प्रभेदों के फलों की खुशबू से चम्पारण की फिजा गुलजार होगी। कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी इसके लिए किसानों को न सिर्फ प्रोत्साहित कर रहा बल्कि आवश्यक जानकारियां और आम का कलम उपलब्ध करायेगा।
क्या है आम्रपाली की खूबियां
आम्रपाली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि नर्सरी से लाया गया आम्रपाली का पेड़ अगले वर्ष ही फल देने लगता है। इसे आप ग्राफ्टिंग का कमाल कह सकते हैं। अगले वर्ष ही फल आ जाने के बावजूद भी नर्सरी वाले आपको सलाह देते हैं कि पहले वर्ष में आए आम के बौर को हटा दें, फल का लालच ना करें। पहले वर्ष में पेड़ उतना मजबूत नहीं हो पाता है कि वह फलों का वजन उठा सके। जो लोग शौकवश घरों में पौधे लगाते हैं वे सपोर्ट देकर फलों का आनंद भी ले लेते हैं। इसमें अल्टरनेटिव बियरिंग की समस्या नहीं होती है। अर्थात अन्य आमों की भांति यह एक साल छोड़कर फल देने के बजाय हर साल फलता है। इसके फल दशहरी आम के फलों की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट होते हैं। आम्रपाली आम काफी जल्दी फल देता है। आम आम्रपाली आम की तुड़ाई 75-80 दिन के भीतर कर सकते हैं।
विदेश में भी धूम
अपने देश में खूब मीठा आम खाना पसंद किया जाता है। यही कारण है कि यहां दशहरी, लंगड़ा व चौसा जैसे आम सबसे ज्यादा पसंद किय जाते हैं। इनमें शुगर की मात्रा 22 से 24 फीसदी तक होती है। लेकिन विदेशी ग्राहक कम मीठे फल ज्यादा पसंद करते हैं। उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए ही आम्रपाली का विकास किया गया। अपने लाल सुर्ख रंग और हल्के खट्टे-मीठे स्वाद के कारण यह विदेशियों की पहली पसंद है। आम्रपाली आम का विदेश में खूब निर्यात भी होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन आमों की ऊंची कीमत भी मिलती है जिसके कारण भारतीय किसान इन्हें बेचकर खूब पैसा भी कमा रहे हैं।
कैसे बनी आम्रपाली
आम्रपाली से पहले आम की संकर किस्म की प्रजाति ‘मल्लिका’ विकसित की गई थी। यह नीलम आम पर दशहरी आम का क्रॉस था। भारतीय ग्राहकों के बीच यह काफी पसंद किया गया। विदेशी लोग इन्हें खा तो रहे थे लेकिन इनकी ज्यादा मिठास उन्हें कम पसंद आ रही थी। विदेशी ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए अपेक्षाकृत कम मीठे व कुछ खट्टे स्वाद वाली प्रजाति विकसित करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद दशहरी आम पर नीलम आम का क्रॉस कराया गया। इससे आम्रपाली का विकास हुआ जो इस आम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विटामिन की मात्रा अन्य आमों की तुलना में दो से ढाई गुना ज्यादा है। इसलिए जिन लोगों को विटामिन की कमी या रतौंधी जैसी बीमारी होती है, उनके लिए यह लाभप्रद है। पूसा के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई आम्रपाली, पूसा लालिमा व पूसा अरुणिमा आम की ऐसी ही फसलें हैं। लाल चटखदार रंगों के कारण ये आम देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं।
क्या कहते हैं केविके प्रमुख
कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी के प्रमुख डॉ. अरबिंद कुमार सिंह ने बताया कि केविके किसानों को न्यूनतम सरकारी दर पर आम्रपाली, मल्लिका आम का प्रभेद उपलब्ध कराएगा। वहीं अभी मालदह आम का प्रभेद उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केविके का यह प्रयास है कि जिले में आम के कारोबार को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी किसानों को पंद्रह सौ आम का कलम उपलब्ध कराएगा। इसको लेकर तैयारी चल रही है।
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