Press "Enter" to skip to content

सूखने की कगार पर हाजीपुर की झील बरैला, लंबे समय से पक्षी विहार बनने का इंतजार

हाजीपुर: साइबेरियाई पक्षी का बसेरा हाजीपुर की झील बरैला विकास की बाट जोह रही है। बिहार के वैशाली जिले में पर्यटन के कई स्थल हैं और उन्हीं में से एक है 30 किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैली झील बरैला। यह झील सलीम अली जुब्बा सहनी पक्षी आश्रयणी के नाम से जानी जाती है। जंदाहा और पातेपुर प्रखंड के 30 से 35 किमी में यह झील फैली है, लेकिन दो दशक से अधिक बीतने के बाद वहां वैसा कुछ भी नहीं हुआ, जिसे देखकर कहा जा सके कि यह पक्षी विहार भी है। राज्य सरकार ने वर्ष 1997-98 में इसे पक्षी आश्रयणी घोषित किया था। इसे राज्य का एक आकर्षक पक्षी विहार बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन योजना अमल में नहीं आई। आज हालात यह है कि यह झील बरैला सूखने की कगार पर है। यही नहीं इसका नाम भी बदल दिया गया है।

Hajipur, Vaishali : हाजीपुर: बरैला झील के विकास कार्यों के लिए जल जीवन  हरियाली मिशन के तहत ₹12 करोड़ हुए आवंटित, डीएम उदित सिंह ने दी जनकारी |  Public App

वन विभाग की ओर से बरैला झील बसघट्टा घाट लोमा में पूर्व के वर्षों में लिखे बोर्ड के ऊपर पूरा नाम लिखा था। लेकिन रंग फीका और लिखावट मिटने पर इसी बोर्ड पर दोबारा जुलाई प्रथम सप्ताह में दोबारा जब लिखाया तो मुजफ्फरपुर निवासी शहीद जुब्बा साहनी जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था। वन विभाग की ओर से पक्षी विहार के असल नाम पक्षी आश्रयणी के दर्ज सम्मिलित नामों में से इनका नाम हटा दिया गया। इसके बाद महावीर बरैला झील जीव रक्षा सह शोध संस्थान सह वैशाली गंगाप्रहरियों और स्थानीय नागरिकों ने उच्च पदाधिकारियों के पास याचिका देकर आवाज उठाई है। इसके अलावा बारिश नहीं होने की वजह से झील का करीब 80 फीसदी हिस्सा सूख चुका है। जगह-जगह टीले उभर आए हैं।

ठीक से नहीं हुई नरकटों की सफाई:  
मई और जून में 20 से 25 दिनों तक वन विभाग की ओर से शुरुआती कुछ दिनों तक 30-40 मजदूर रखकर नरकटों की साफ-सफाई शुरू की गई। हालांकि बाद में मात्र दस से बारह मजदूर ही नरकट काटने और इसे समेटकर झील के भीतर ही दो तीन स्थानों पर रखा गया, जिसे किसी ने जला दिया। झील में 9 मिट्टी के टापू पर उगे जंगलों और ज्यादा से ज्यादा पांच बीघा घास की ही कटाई हुई है, जबकि बीते महीने वन विभाग के प्रधान सचिव के झील दौरा के दौरान वन प्रमंडल पदाधिकारी ने 50 हेक्टेयर सफाई करने की बात कही गई थी। जब इस झील का नामकरण किया गया था।

उस दौरान राज्य सरकार के वन विभाग के आला अधिकारियों ने कई बार विशेषज्ञों की टीम के साथ बरैला का दौरा किया, स्थल मुआयना किया और यह भी देखा कि जाड़े में कितनी बड़ी संख्या में साइबेरिया और अन्य मुल्कों के प्रवासी पक्षी यहां आकर अपना बसेरा डालते हैं। इसके विकास के लिए एक जागरूक आवाज उठती रही और वह आवाज लोमा गांव के निवासी एवं तथागत महावीर बरैला झील शोध संस्थान के पंकज कुमार ने उठायी, लेकिन बातजहां की तहां ठहरी हुई है।

सीएम नीतीश तीन दिवसीय प्रवास पर आए थे वैशाली:  
2010 में सीएम नीतीश कुमार तीन दिवसीय वैशाली प्रवास के दौरान बरैला झील का जायजा लेने पहुंचे थे। विभागीय अधिकारियों के साथ नाव पर सवार होकर झील की पूरी स्थिति का उन्होंने आकलन किया। साथ ही इस पक्षी आश्रयणी को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा भी की, किन्तु जाने क्यों यह झील उपेक्षा की शिकार हो रही है। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इसके विकास पर ग्रहण लगा हुआ है।

Share This Article
More from ADMINISTRATIONMore posts in ADMINISTRATION »
More from BIHARMore posts in BIHAR »
More from HAJIPURMore posts in HAJIPUR »
More from MUZAFFARPURMore posts in MUZAFFARPUR »
More from STATEMore posts in STATE »
More from VAISHALIMore posts in VAISHALI »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *