बिहार: बिहार के सासाराम की पहचान विश्व पटल पर अब धार्मिक नगरी के रूप में भी हो रही है। सात नवंबर 2022 को पायलट बाबा धाम में श्री पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के साथ ही एक नया अध्याय शुरू हो गया। मंदिर के गर्भ गृह में स्थित स्फटिक के शिवलिंग के रूप में श्रीसोमनाथ महादेव विराजमान हैं। वहीं पायलट बाबा धाम बिहार की सबसे ऊची शिव प्रतिमा को लेकर भी प्रख्यात है। सभी देवी-देवता के समागम को लेकर भी यह धाम मशहूर है। पायलट बाबा धाम में 111 फीट ऊंची शिव प्रतिमा है। श्रावणी मेला शुरू हो गया है।
यह पहला धाम है, जहां सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा होती होती है। यही वजह है कि कुछ ही समय में इसकी प्रसिद्धी विदेशों में भी हो गई है। जापान, जर्मनी, यूक्रेन, रूस समेत अन्य देशों से श्रद्धालु धाम में आकर पूजा-अर्चना करते हैं। यह धाम सर्वधर्म का भी नजीर है। बाबा भोले को मनभावन माह सावन में यहां काफी लोग आते हैं।
120 फीट है सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई
मंदिर के गुंबद की ऊंचाई 120 फीट है। मंदिर के चारों तरफ दीवार पर सोमनाथ मंदिर के दृश्य की पेंटिंग की गई है। गर्भ गृह के मध्य में स्फटिक के शिवलिंग के रूप में श्री सोमनाथ महादेव हैं। गर्भ गृह दस महाविद्या की दिव्य शक्तियों से रक्षित है। मंदिर में 84 खंभे है। हर खंभे पर देवी-देवताओं के चित्र और चिह्न अंकित है। मंदिर में दर्शन के लिए छह द्वार बनाए गये हैं। मंदिर के चारों तरफ सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। जिसमें दक्षिण की ओर त्रिपुर भैरवी माता, राज राजेश्वरी माता का मंदिर है। पश्चिम में छिन्नमस्तिके माता का मंदिर है। उत्तर दिशा में छह सूड़ों वाली इन्द्र भगवान के रावत की प्रतिमा है। उसके बगल में गणेश भगवान और माता लक्ष्मी की प्रतिमा है। ब्रह्म, बिष्णु और महेश भगवान की प्रतिमा भी स्थापित है।
बुद्ध का मंदिर भी है यहां
धाम के अंदर भगवान बुद्ध का मंदिर बना है। बुद्ध मंदिर में 84 फीट ऊंची बुद्ध प्रतिमा को स्थापित किया गया है। जिसमें बुद्ध के जन्म से लेकर निर्वाण तक की यात्रा का चित्रण किया गया है।
स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं
धाम में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ महापुरुषों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। जिसमें भीमराव अंबेडकर, सुभाष चन्द्र बोस और चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा शामिल है।
बच्चों के मनोरंजन का रखा गया है ख्याल
धाम परिसर में बच्चों के मनोरंजन का भी ख्याल रखा गया है। परिसर में हाथी-शेर समेत कई जानवरों की मूर्तियां लगाई गई हैं। वहीं एक घेरे के अंदर पक्षियों को रखा गया है। जो बच्चों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। जगह-जगह बैठने की भी व्यवस्था है।
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