गया जिले में मधुमक्खी पालन किसानों के लिए बड़ा कारोबार है। इस व्यवसाय से सैंकड़ों लोग परोक्षा व अपरोक्ष रूप से जुड़े हैं, लेकिन इन दिनों उनकी मधुमक्खियों की जान पर चीनी का घोल आफत बन गया। उनकी मधुमक्खियां चीनी का घोल पीने के कुछ ही घंटे बाद तड़प-तड़प कर म’र गईं।
मुधमक्खी पालक लाखों रुपए के नुकसान से सकते में पड़ गए हैं। हालांकि, उन्होंने उद्यान विभाग व कृषि वैज्ञानिकों से मदद की गुहार लगाई पर अब तक उन्हें न तो सलाह ही दी गई और न ही किसी प्रकार की कोई मदद की गई।
दरअसल बरसात के दिनों में मुधमक्खियों को खेतों में लगी फसलों में फूल से पराग तो मिल जात हैं पर उन्हें शहद नहीं मिलता है। ऐसे में मधुमक्खी पालक शहद के रूप में उन्हें चीनी का घोल देते हैं। यह समस्या जुलाई से लेकर सितंबर तक बनी रहती है।
इधर, डीएचओ शशांक कुमार का कहना है कि जिले के परैया के अलावा कई जगह से चीनी की घोल की वजह से मधुमक्खियों के मरने की खबर आ रही है। संबंधित मामले में कृषि वैज्ञानिक और विभाग के वरीय अधिकारियों से सलाह मांगी गई है।
जिले में बड़े स्तर पर विभिन्न गांवों में यूनिट खोल कर मधुमक्खी पालन करने वाले चितरंजन कुमार बताते हैं कि गया के सलेमपुर गांव में मेरा एक यूनिट है। वहां जब हमने चीनी का घोल दिया तो मधुमक्खियां कुछ ही घंटे के बाद तड़प-तड़प कर मरने लगीं। ऐसा बीते 15 वर्षों में कभी नहीं हुआ, लेकिन इस बार हो रहा। करीब 200 बक्से की मधुमक्खियां मर गईं।
उन्होंने बताया कि इस तरह की घटना दूसरे साथियों के साथ भी हुई हैं। यह अलग बात है कि उनकी यूनिट छोटी है तो उन्हें खासा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हमें करीब तीन लाख रुपए का नुकसान हो गया। हालांकि, इसके लिए चीनी में मिलाई गई कोई केमिकल भी जिम्मेदार हो सकती है।
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