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हजारों वर्ष पुराना है बाबा वैद्यनाथ मंदिर, सातवीं शताब्दी में भी मौजूदगी के साक्ष्य

वैद्यनाथ धाम शिव मंदिर का इतिहास बता पाना इतिहासकारों के लिए आज भी चुनौती है। सातवीं शताब्दी में सात शैवमतावलम्बी राजाओं के देवघर आगमन का जिक्र इतिहास में दर्ज है। कहा जाता है कि बाबाधाम के ऐतिहासिक शिव मंदिर का निर्माण उसी काल में हुआ है। यदि उस समय मंदिर का निर्माण हुआ, तो बाबाधाम मंदिर 1300 वर्ष पुराना है।

हजारों वर्ष पुराना है बाबा वैद्यनाथ मंदिर, सातवीं शताब्दी में भी मौजूदगी के साक्ष्य

1000 वर्ष पहले का इतिहास बताता है कि बाबाधाम मंदिर दशनामी साधुओं और गोरखनाथ पंथी संन्यासियों के अधिकार क्षेत्र में था। इसलिए इतिहासकार भी नि:संकोच बताते हैं कि बाबाधाम मंदिर हजार वर्ष से अधिक पुराना है। बावजूद अभी भी इतिहासकारों के लिए यह शिव मंदिर खोज कर विषय बना हुआ है।

क्या कहता है इतिहास
भारत के शैवमतावलंबी अनेक राजा देवघर आए और कामनालिंग की पूजा-अर्चना की। इतिहास बताता है कि 148-70 ईसा पूर्व के बीच नवनाग और 290 से 315 ईसवी के बीच भवनाग के पयंत भारशिवों के सात राजा हुए। उन्होंने गंगा, यमुना के संकेतों को अपना राज चिह्न बनाया। सभी सात राजा देवघर आए भी। सातवीं शताब्दी में शैव मतावलम्बी अनेक राजा हुए जिनमें माधव गुप्त के पुत्र आदित्य सेन भी थे। उनके राज्य में आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्से भी शामिल थे।

शिलालेखों से मिलते हैं सबूत
वैद्यनाथ मंदिर के पूरब दरवाजे पर चार शिलालेख जड़ित हैं। भाषा ब्राह्मी लिपि में है। इन शिलालेखों में मंदार पर्वत का जिक्र भी आया है और राजा आदित्य सेन का उल्लेख भी मिलता है। इतिहास पुरातत्ववेत्ता प्रो. राखाल दास बनर्जी ने भी मंदार पर्वत के शिलालेख का उल्लेख किया है।

जेएफ फ्लीट की प्रसिद्ध पुस्तक ‘कांरपस इन्सकिप्पनम इंण्डिकेरम’ के तीसरे भाग में भी इसका जिक्र मिलता है। आदित्य सेन का काल सातवीं शताब्दी है। अचल-7, राशि-01, शायक-05, भूमि-01 अर्थात शक संवत 1517 में पूरण राजा ने सर्वकाम प्रदम शिव मंदिर का निर्माण कराकर विमल गुण वाले नौष्ठिक ब्राह्मण रघुनाथ को दान दिया।

इस प्रकार शिलालेख के अनुसार 400 वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण बताया जाता है पर राजा आदित्य सेन के सातवीं शताब्दी के जिक्र से लगता है कि मंदिर हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है।

दशनामी साधुओं के अखाड़े का जिक्र
हजार साल पहले बाबाधाम मंदिर के चारों ओर दशनामी साधुओं का अखाड़ा होने का भी जिक्र मिलता है। इसके अलावे बहुत दिनों तक गोरखनाथ पंथी साधुओं ने मंदिर पर अधिकार कर लिया था। नाथों के भय से दशनामी साधु देवघर छोड़कर चले गए। बाबाधाम मंदिर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित नाथ बाड़ी आज भी इसका प्रमाण है। इसलिए बाबाधाम मंदिर के निर्माण काल को हजार साल से अधिक माना जा सकता है।

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