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बिहारी लड़का जर्मन लड़की : स्पेशल वीजा से अकेले ही पहुंची इंडिया, हिन्दू रीति-रिवाज से रचाई शादी

जैसा की सभी जानते हैं…..प्यार कोई मजहब या सरहद नहीं पहचानता है, वो केवल प्रेम की भाषा जानता है। कुछ ऐसा ही बिहार में भी इन दिनों देखने को मिला है जहां सात समंदर पार की दुल्हनिया भारत आई और देसी दूल्हे के साथ पूरे हिन्दू रीति रिवाज के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध गई। जर्मनी की शोध छात्रा लारिसा बेल्ज ने अपने बिहारी प्रेमी सत्येंद्र कुमार के साथ हिंदू विधि विधान के साथ शादी रचाई है। दूल्हा नवादा जिले के नरहट प्रखंड के बेरोटा के निवासी है,जबकि उनकी पत्नी बनी लारिसा जर्मन की हैं।

bihar news: germany larissa benz married satyendra kumar resident of nawada  bihar : जर्मन लड़की बिहारी लड़का... स्पेशल वीजा पर अकेले ही पहुंची इंडिया..  हिंदू रीति रिवाज से रचाई ...

शादी के बंधन में बंधने वाले पति-पत्नी स्वीडन में एक साथ शोध करते थे। जर्मनी में पत्नी बढ़ी लारीसा को न तो हिंदी आती है और ना ही वह विधि-विधान जानती हैं लेकिन जब विवाह समारोह शुरू हुआ तो उसने वह सारी रस्में निभाई जो एक हिंदू कन्या करती हैं। लारीसा ने हल्दी का उबटन लगवाया, पाणिग्रहण से लेकर वर पूजन तक सब रस्में हुई।  सिंदूरदान के बाद लारिसा बैल्ज सुहागन बन गई। मिली जानकारी के मुताबिक, लारीसा अपनी शादी के लिए स्पेशल वीजा लेकर इंडिया आई हैं, हालांकि उनके माता-पिता को वीजा नहीं मिल पाया इसके चलते वह शादी में शरीक नहीं हो पाए। सत्येंद्र की पूरी फैमिली और गांव वाले भी इस शादी के गवाह बने। ये शादी राजगीर स्थित एक होटल में हुई जहां शादी की सारी रस्में अदा की गईं।

 शादी के बंधन में बंधने वाले पति-पत्नी स्वीडन में एक साथ शोध करते थे. जर्मनी में पत्नी बढ़ी लारीसा को न तो हिंदी आती है और ना ही वह विधि-विधान जानती हैं लेकिन जब विवाह समारोह शुरू हुआ तो उसने वह सारी रस्में निभाई जो एक हिंदू कन्या करती हैं. लारीसा ने हल्दी का उबटन लगवाया, पाणिग्रहण से लेकर वर पूजन तक सब रस्में हुई. सिंदूरदान के बाद लारिसा बैल्ज सुहागन बन गई.

जर्मन महिला से शादी रचाने वाले सत्येंद्र ने बताया कि वो कैं’सर पर शोध करने के लिए स्वीडन गए थे। दोनों वहां स्किन कैं’सर पर शोध कर रहे थे जबकि लारिसा बेल्ज़ प्रोस्टेट कैं’सर पर रिसर्च कर रही थी। इसी दौरान 2019 में दोनों करीब आए। दोनों के बीच बातें शुरू हुई और फिर प्यार हो गया। प्यार परवान चढ़ा तो दोनों ने शादी करने का मन बनाया। बीच में कोरोना काल के चलते थोड़ी देर हुई जब हालत सामान्य हुआ तो दोनों ने शादी की है।

 लारिसा ने बताया कि हमदोनों 2019 से ही प्यार में हैं और तीन साल बाद इंडिया आकर यहीं शादी करने का भी प्लान बनाया. उन्होंने बताया कि वो यहां की लाइफ एन्जॉय करने आई हैं. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं. यहां के कल्चर और मेरे कल्चर में बहुत अंतर है लेकिन प्यार बड़ी चीज है.

लारिसा ने बताया कि हमदोनों 2019 से ही प्यार में हैं और तीन साल बाद इंडिया आकर यहीं शादी करने का भी प्लान बनाया। उन्होंने बताया कि वो यहां की लाइफ एन्जॉय करने आई हैं। यहां के कल्चर और मेरे कल्चर में बहुत अंतर है लेकिन प्यार बड़ी चीज है। विदेशी दुल्हन ने बताया कि अच्छे से भाषा नहीं समझ सकती बस कुछ हो शब्द समझ पाती हूं लेकिन मेरे हस्बैंड ट्रांसलेट करके समझाने की कोशिश करते हैं। शादी रचाने वाले सत्येंद्र कुमार बेरोटा निवासी विष्णुदेव महतो और श्यामा देवी के पुत्र हैं।

 गांव में किसी कोई नाराज़गी न रहे इसके लिए गांव में भी एक प्रतिभोज का आयोजन किया गया ताकि सभी लोग वर-वधु को आशीर्वाद दे सकें. शादी के बाद इस जोड़े की इलाके में खूब चर्चा हो रही है

इस शादी से सत्येंद्र के परिवार वाले काफी खुश हैं। शादी में शामिल होने आए लोगों ने कहा कि आज दुनिया बदल रही है, ऐसे में हम सबों को भी बदलना होगा। सतेंद्र के भाई धर्मेंद्र प्रसाद ने कहा कि भाई ने जो किया है काफी अच्छा किया है, हम सभी उसके साथ है। 

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