Kalashtami 2020: कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के विग्रह रूप काल भैरव भगवान की पूजा की जाती है। हिन्दू कैलेंडर के हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस साल कालाष्टमी 15 फरवरी दिन शनिवार से शुरू होकर 16 फरवरी तक रहने वाली है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव की पूजा करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार इस दिन कुछ खास कार्य करने की मनाही होती है, जिन्हें करने पर व्यक्ति को इस व्रत का फल नहीं मिलता है। आइए जानते हैं कालाष्टमी की पूजा का क्या है शुभ मुहूर्त और इस इस दिन क्या करने की होती है मनाही।
कालाष्टमी पूजा मुहूर्त-
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का प्रारंभ 15 फरवरी दिन शनिवार को शाम 04 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है, जो 16 फरवरी दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक है।
कालाष्टमी के दिन भूलकर भी न करें ये काम-
काल भैरव जयंती यानी कालाष्टमी के दिन झूठ बोलने से बचें, झूठ बोलने से नुकसान आपको होगा।
कालाष्टमी के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए व्रत के दौरान आप फलाहार कर सकते हैं।
कालभैरव की पूजा कभी भी किसी के नाश के लिए न करें।
आमतौर पर बटुक भैरव की ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि यह सौम्य पूजा है।
नमन न खाएं। नमक की कमी महसूस होने पर सेंधा नमक खा सकते हैं।
माता-पिता और गुरु का अपमान न करें।
बिना भगवान शिव और माता पार्वती के काल भैरव पूजा नहीं करना चाहिए।
गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करना चाहिए।
गंदगी न करें। घर की साफ-सफाई करें।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
(इस खबर को मुजफ्फरपुर न्यूज़ टीम ने संपादित नहीं किया है. यह हिंदुस्तान फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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