5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद करीब 1000 नेताओं को हिरासत में लिया गया था। इनमें से कई नेताओं को चरणबद्ध तरीके से रिहा किया जा चुका है। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता अभी भी नजरबंद हैं। गुरुवार शाम को उमर और महबूबा पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
कई दिनों तक पता ही नहीं चला कि मां कैसी हैं: इल्तिजा
इल्तिजा ने ट्वीट किया कि मां (महबूबा मुफ्ती) को नजरबंद करने के बाद उनके परिवार को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई दिनों तक यह पता नहीं चल पाया कि मां कैसी हैं। कुछ दिन बाद उनके लिए भिजवाए टिफिन में मुझे उनके हाथ का लिखा एक नोट मिला था। इसमें उन्होंने लिखा था, ‘‘ उन लोगों (सरकार) ने मुझसे अंडरटेकिंग ली है कि मैं बातचीत के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करूंगी। मेरी तरफ से अगर कोई दूसरा ऐसा करता है, तो उस पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज होगा। तुम्हें बहुत याद करती हूं, ढेर सारा प्यार।’’
उमर और महबूबा ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन किया: प्रियंका
प्रियंका गांधी ने महबूबा मुफ्ती को रिहा करने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया कि किस आधार पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगाया गया है। उन्होंने भारत के संविधान को बरकरार रखा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन किया। इन्होंने कभी हिंसा नहीं फैलाई और विभाजन नहीं किया। वे बिना वजह अनिश्चितकाल तक बंदी बनाकर रखे जाने के नहीं, रिहा किए जाने के हकदार हैं। इससे पहले बुधवार को भी प्रियंका ने फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को छह महीने से नजरबंद रखने पर सवाल उठाया था।
(इस खबर को मुजफ्फरपुर न्यूज़ टीम ने संपादित नहीं किया है. यह भास्कर फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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