दो विश्वयुद्धों ने क्या बदला, इसे जानना छात्रों के लिए बेहद जरूरी है. वक्ताओं ने कहा कि जिज्ञासु बनें, और भारत के साथ ही विश्व के इतिहास को भी पढ़ें. महंत दर्शन दास महिला कॉलेज के इतिहास विभाग की ओर से “दो विश्वयुद्धों के बीच भारत में विज्ञान व राष्ट्रवाद का विकास ” विषय पर विशिष्ट व्याख्यान हुआ. अध्यक्षता प्राचार्य प्रो कनुप्रिया ने की.

भारत की समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा की चर्चा की. बतौर मुख्य वक्ता दिल्ली विवि के इतिहासकार प्रो जेएन सिन्हा ने कहा, दो विश्वयुद्धों के मध्य स्थापित स्वदेशी संस्थाओं, शैक्षणिक केंद्रों, राष्ट्रीय योजना समिति जैसे संगठनों के जरिये राष्ट्रीय विज्ञान को बढ़ावा देने वाले वैज्ञानिकों के योगदान काे जानना चाहिये.



उन्होंने शोध प्राविधि, लेखन व प्रकाशन जैसे बिंदुओं पर भी चर्चा की. विषय प्रवेश विभागाध्यक्ष डॉ प्रांजलि, मंच संचालन डॉ आशा सिंह यादव व धन्यवाद ज्ञापन डॉ बिपिन ने किया. प्रो किरण झा, प्रो कुमारी सरोज, डॉ राकेश रंजन, डॉ आभा, डॉ प्रियम, डॉ मैरी मरांडी, डॉ ममता, डॉ सदफ, डॉ अनुराधा, डॉ नीरजा, डॉ अर्चना तिवारी समेत अन्य शिक्षक, शोधार्थी व छात्राएं शामिल हुए.



लोक गायन व नृत्य दिखाया
इतिहास विभाग की छात्राओं ने संबलपुरी, बाउल, सामा-चकेवा, विदेशिया, ओडिशा, बंगाल, मिथिला व भोजपुरी क्षेत्रों के लोक गायन व नृत्यों की प्रस्तुति दी गयी. प्रो कुसुम शर्मा, डॉ आभा, डॉ प्रियम फ्रांसिस, डॉ शगुफ्ता, डॉ वर्षा, डॉ देवश्रुति, डॉ रवि, डॉ नील रेखा, डॉ बिपिन, डॉ नूतन, डॉ नेहा समेत अन्य मौजूद थे.



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