बिहार के दरभंगा की मोनिका गुप्ता प्रयागराज महाकुम्भ में अपनी दोनों आंखों पर काली पट्टी बांधकर कैनवास पर देवी-देवताओं के चित्र उकेर रही है। इसके अलावा वह दोनों आंखें बंद कर जमीन पर रंगोली भी बनाती है। अपनी इस कलाकारी से वह वहां पर लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। मोनिका ने बताया कि यह कला उसने अपनी बड़ी बहन निशा गुप्ता से सीखी है। वह पिछले आठ साल से यह काम कर रही है। परिवार में उसकी बहन, भाई और मां सभी पेंटिंग बनाते हैं।मोनिका ने कहा कि वह योग-ध्यान भी करती है। योग से ही उसे त्रिनेत्र को जागृत करने में सफलता मिली है। इसी आधार पर वह अपनी दोनों आंखों पर रूई डालकर और फिर उस पर काली पट्टी बांधकर आसानी से चित्रकारी कर लेती है और रंगोली बना लेती है। इससे पहले मोनिका ने अयोध्या में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भी अपनी आंखों पर काली पट्टी बांधकर भगवान राम की रंगोली बनायी थी।
मोनिका ने बताया कि उसने रसायन शास्त्र विषय से बीएससी की है और फिलहाल वह इसी विषय से एमएससी कर रही है। मोनिका ने कहा कि बचपन में उसकी मां उसे महाभारत की कहानियां सुनाती थी। वह महाभारत के पात्र संजय और अर्जुन से काफी प्रभावित थी। संजय जहां दूर बैठकर धृतराष्ट्र को युद्ध का आंखों देखा हाल बताते थे, वहीं अर्जुन ने स्वयंवर में अपनी कला से ऊपर घूम रही मछली की आंख को बेध दिया। इन सब बातों ने उसे काफी प्रभावित किया और उसने चार साल की उम्र से ही आंखें बंद कर काम करने का अभ्यास शुरू कर दिया। सात साल की उम्र होने पर उसे इस अभ्यास में काफी हद तक कामयाबी मिल गयी।
मोनिका ने बताया कि यह महाकुम्भ 144 साल के बाद लगा है। हमारे जीवन में यह पल दोबारा नहीं आने वाला है, इसलिए इस अवसर को हम यादगार बनाना चाहते हैं। उसने कहा कि जब हम पेंटिंग बना रहे होते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे हम भगवान से बातें कर रहे हैं। मोनिका की बहन निशा ने कहा कि प्रयागराज में अभी हम लोग महाकुंभ की श्रृंखला को लेकर पेंटिंग बना रहे हैं। यह लोगों को काफी पसंद आएगी।

महाकुंभ में आंखों पर पट्टी बांध पेंटिंग बना रही मोनिका; महाभारत के संजय, अर्जुन से है इंस्पार्ड
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