हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान सूर्य बारह राशियों के भ्रमण के दौरान जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को सरकात, लोहड़ा, टहरी, पोंगल आदि नामों से जानते हैं। इस दिन स्नान व दान का भी विशेष महत्व माना गया है। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही सूर्यदेव उतरायण हो जाते हैं और देवताओं के दिन और दैत्यों के लिए रात शुरू होती है।
खरमास खत्म होने के साथ ही माघ माह भी शुरू हो जाता है। इसी के साथ मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। सूर्य देव को मकर संक्रांति के दिन अर्घ्य के दौरान जल, लाल पुष्प, फूल, वस्त्र, गेंहू, अक्षत, सुपारी आदि अर्पित की जाती है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व ही शुद्ध जल से स्नान करें। स्नान के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य की आराधना और अपने इष्ट और गुरु मंत्र का जाप करें। कहा जाता है कि इस दिन जो भी मंत्र जाप, यज्ञ और दान किया जाता है। उसका शुभ प्रभाव 10 गुना होता है।
मकर संक्रांति डेट- दृग पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मुहूर्त-
- मकर संक्रान्ति पुण्य काल – 09:03 ए एम से 05:46 पी एम
- अवधि – 08 घण्टे 42 मिनट्स
- मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – 09:03 ए एम से 10:48 ए एम
- अवधि – 01 घण्टा 45 मिनट्स
- मकर संक्रान्ति का क्षण – 09:03 ए एम
स्नान-दान का विशेष महत्व-
मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान व दान का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय फल प्राप्त होता है। साथ ही जाने-अनजाने जन्मों के किए गए पाप का भी क्षय हो जाता है। इस दिन देवी-देवता एक साथ प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान कर कंबल, घृत दान, तिल, लडू, वस्त्र आदि दान का विशेष महत्व है।
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