बिहार में करप्ट सरकारी सिस्टम का अजीबोगरीब खेल उजागर हुआ है। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में बड़े घपले का खुलासा हुआ है। कमीशन खोरी के खेल में अधिकारियों की मिली भगत से दलालों ने फर्जी लाभुकों को सीएम कन्यादान योजना का लाभ दिलाने में कामयाबी हासिल कर ली। मामला पूर्वी चंपारण जिले का है जहाँ योजना का लाभ लेने वाली कन्याओं और उनकी माताओं के बीच उम्र का अंतर महज 3 साल से 7 साल है। लाभुकों के दस्तावेजों की जांच से मामला पकड़ में आया। खेल उजागर होने के बाद श्रम विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारी मामले की जांच में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत लाभुक महिलाओं को श्रमिक कल्याण विभाग की ओर से पचास-पचास हजार रुपये का लाभ दिया जाता है।मामला जिले के कोटवा प्रखंड का है जहां तीन लाभुकों द्वारा गलत दस्तावेज के आधार पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ देने का मामला प्रकाश में आया है। मोतिहारी के कोटवा प्रखंड के ग्राम रोहुआ पोस्ट मच्छरगांवा निवासी गुड्डू शर्मा ने अपने बेटी के शादी में श्रम विभाग से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत पचास हजार का अनुदान प्राप्त किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनके आवेदन के साथ जो दस्तावेज जमा किए गए उसके अनुसार उसकी पत्नी की उम्र 21साल है।
इसी तरह कोटवा प्रखंड के पुरानीडीह गांव निवासी राजकुमार शर्मा को बेटी की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत पचास हजार का अनुदान मिला। इसके लिए जो आवेदन और कागजात जमा कराए गए उसमें राजकुमार शर्मा की पत्नी सुनीता देवी की उम्र मात्र 25 साल बताई गयी है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मां की आयु 25 साल है तो विवाह होने वाली बेटी की उम्र 18 साल कैसे है।
तीसरा मामला कोटवा प्रखंड के कररिया गांव का है। स्व०सुनील कुशवाहा की पत्नी ऊषा देवी ने अंचल कार्यालय की ओर से जारी किए गए अपनी वंशावली में जानकारी दी है कि उनको बेटी नहीं है। उनके सिर्फ चार बेटे ही हैं। लेकिन उनके नाम पर श्रम विभाग की ओर से बेटी की शादी के लिए 50 हजार का अनुदान लिया गया है। सूत्रों का मानना है कि यह सब बिचौलियों के माध्यम से किया गया भ्र’ष्टाचार है जिसमें फ’र्जी कागजात के आधार पर सरकारी राशि का बंदरबांट किया गया है।ये तीन मामले पकड़ में आए हैं लेकिन मोतिहारी श्रम विभाग द्वारा चार सौ श्रमिकों को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का अनुदान दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि यह मामला महज डेढ़ लाख का नहीं बल्कि करोड़ों के बंदरबांट का है। दलालों के माध्यम से फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाकर अनजान लोगों के नाम पर राशि की निकासी की गयी है।इस मामले मोतिहारी के श्रम अधीक्षक अनील कुमार ने बताया कि फिल्ड में सत्यापन कहने एलईओ जाते हैं। उनको क्या बताया गया या उन्होंने कैसे रिपोर्ट दिया इसकी जांच कराई जाएगी। विभाग की ओर से एक्शन लिया जा रहा है। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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