बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण और बंदोबस्त की नई नियमावली को नीतीश कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। पुरानी नियमावली में कुछ संशोधन करते हुए राज्य सरकार ने रैयतों यानी जमीन मालिकों को राहत दी है। संशोधित नियमावली लागू होने के बाद रैयतों द्वारा घोषणा समर्पित करने की अवधि को 180 कार्य दिवस यानी 6 महीने, राजस्व ग्राम के मानचित्र सत्यापन की अवधि को 90 कार्य दिवस (तीन महीने) कर दिया गया है। इसी प्रकार रैयतों से दावा की अवधि को बढ़ाकर 60 कार्य दिवस (दो महीने) कर दिया गया है। वहीं, जमीन के दस्तावेजों को जमा करने की समयसीमा को भी तीन महीने बढ़ा दिया है।
बिहार सरकार ने इस साल 20 अगस्त को जमीन सर्वे की प्रक्रिया शुरू की थी। पहले चरण में ग्रामीण इलाकों में सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। इस दौरान रैयतों को दाखिल-खारिज समेत अन्य मामलों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग पंचायतों से लेकर अंचल कार्यालयों तक के चक्कर काट रहे हैं। विभिन्न संगठनों द्वारा जमीन सर्वे की प्रक्रिया को और सुलभ करने की मांग की जा रही थी। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने मौजूदा नियमावली में संशोधन करते हुए रैयतों को राहत दी है।
नई नियमावली के तहत राज्य सरकार ने भूमि सर्वेक्षण की डेडलाइन को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके तहत रैयतों को उनके जमीन के कागजातों की स्वघोषणा के लिए 180 कार्य दिवस का समय मिल जाएगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में कुल 33 एजेंडों पर मुहर लगाई गई।
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