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रामगढ़ पर बीजेपी ने जमाया कब्जा, बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद का ढह गया पुराना किला

पटना : बिहार के चार विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। एनडीए ने उपचुनाव में इंडिया गठबंधन का सूपरा साफ कर दिया है। तरारी में पूर्व विधायक नरेंद्र पांडे उर्फ सुनील पांडे के बेटे विशाल पांडे ने वामपंथी उम्मीदवार राजू यादव को हरा दिया तो इमामगंज में जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी ने राजद के रोशन मांझी को पटखनी दी। बेलागंज में जदयू की मनोरमा देवी ने राजद के दिग्गज और आठ बार के विधायक और कई बार मंत्री रहे सुरेंद्र यादव को उखाड़ दिया। रामगढ़ की बात करें तो यहां भी इंडिया गठबंधन(राजद) की हार हुई और इसी के साथ आरजेडी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का पुराना किला ढह गया।

रामगढ़ में बीजेपी उम्मीदवार अशोक सिंह को 62257 वोट मिले तो दूसरे स्थान पर बसपा रही। बहुजन समाज पार्टी कैंडिडेट सतीष कुमार सिंह यादव को 60895 वोट पड़े और मात्र 1362 वोटों से अशोक सिंह ने उन्हें हरा दिया। राजद के कैंडिडेट अजीत सिंह 35825 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

रामगढ़ की जगदानंद सिंह(लालू यादव की पार्टी राजद) का गढ़ माना जाता है। साल 1985 से 2015 तक इस सीट पर जगदानंद सिंह उनके बेटे सुधाकर सिंह और राजद नेता अंबिका यादव के पास रही। 2015 के विधानसभा चुनाव में रामगढ़ पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सुधाकर सिंह ने रामगढ़ बीजेपी से छीन लिया। उपचुनाव 2024 में बीजेपी ने जगदानंद सिंह को उखाड़ दिया। यह सीट जगदानंद सिंह के बेटे और नीतीश सरकार में कृषि मंत्री रहे सुधाकर सिंह के इस्तीफे से खाली हुई थी। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतकर सुधाकर सिंह दिल्ली चले गए। उसके बाद उपचुनाव में राजद ने जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह को उतारा था। अशोक सिंह ने उन्हें मामूली वोटों के अंतर से पराजित कर दिया।

रामगढ़ में सन 1985 में जगदानंद सिंह विधायक बने। तब उन्होंने लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा। जनदल के गठन के बाद 1990 में वे इसी दल के टिकट पर उतरे और जीत दर्ज किया। 1995 में भी जनता दल से ही चुनाव जीते। इसी बीच जनता दल टूट गया तो लालू यादव ने अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल(राजद) बना लिया। उसके बाद 2000 और 2005 के दोनों चुनावों में जगदानंद सिंह राजद के टिकट पर ही चुनाव लड़े और जीत दर्ज की।

2009 और 2010 में राजद ने अंबिका यादव को इस सीट पर उतारा। वह 2015 तक यहां के विधायक रहे। साल 2015 के चुनाव में इस सीट पर राजद की हार हुई और बीजेपी के अशोक कुमार सिंह विधायक बने। वे 2020 तक विधायक रहे जिन्हें 2020 के चुनाव में जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह ने हरा दिया। एक बार फिर अशोक सिंह ने जगदानंद के दूसरे बेटे अजीत सिंह को परास्त करके अपनी हार का बदला ले लिया है।

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