पितृपक्ष जिसे श्राद्ध भी कहा जाता है अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। पितरों की पूजा और तर्पण आदि कार्यों के लिए श्राद्ध पक्ष बहुत ही उत्तम माना जाता है।
आचार्य ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं। इसलिए इन दिनों में उनके श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर तक चलेगा। अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- तर्पण और श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है। श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण ही इसका नाम श्राद्ध है। इस बात का भी ध्यान रहे कि श्राद्धकृत्य अपराह्नकाल व्यापिनी तिथि में किए जाते हैं।
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