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बसंत पंचमी 14 फरवरी को, जानें शुभ मुहूर्त और मां सरस्वती पूजन का महत्व

बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी। उस दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट से और सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है। ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे से स्नान शुरू हो जाएगा। सूर्यास्त शाम 5 बजकर 45 मिनट तक स्नान किया जा सकता है। बसंत पंचमी पर माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बागीश्वरी जयंती के नाम से भी यह जाना जाता है।  इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। इसी दिन आम्रपाली मंजरी खान की भी परंपरा है। इस दिन लेखनी पूजन भी की जाती है। कई स्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर बाकायदा पूजा-अर्चना की जाती है।

Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी पर जानिए माता सरस्वती का स्वरूप हमें क्या  सिखाता है - Basant Panchami 2023 Know the meaning of maa Saraswati swaroop

पूजन विधि 

इस दिन सृजन, ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान की देवी सरस्वती मां का पूजन होगा। मां सरस्वती को पीली साड़ियां, पर्दे, मिठाई और फूल अर्पित करें। सरस्वती पूजा चंद्र, ब्रहस्पति, शुक्र और बुध के हानिकारक प्रभावों को काफी हद तक कम कर देती है। घर में सुबह सफाई कर स्नान कर पूजा-अर्चना कर माता का आह्वान करें। मां सरस्वती को आम के पत्ते, केसर, हल्दी, अक्षत, तिलक, कलश, सरस्वती यंत्र, दूर्वा घास भी चढ़ाए। भगवान गणेश की भी पूजा अर्चना करे। विद्यार्थी किताब, कलाकार संगीत वाद्य यंत्र का पूजन करें।

बसंत पंचमी का दिन शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। इस दिन शादी-विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह-प्रवेश व खरीदारी की जाती है। कहते हैं कि इस दिन विवाह के बंधन वाले जातकों को सभी देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जोड़े का बंधन सात जन्मों तक रहता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था। इसलिए यह दिन शादी के लिए काफी शुभ माना गया है।

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