मधुबनी: मधुबनी के मोहन भार्गव यानी बिकाश महासेठ सिंगापुर से अपने गृहजिला लौटे हैं। जिले के जयनगर के रहने वाले बिकाश इस वक्त सिंगापुर में इंटिग्रेटेड रिटेल मैनेजमेंट कंसल्टिंग और स्लाइसर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी चला रहे हैं। इन कंपनियों के माध्यम से वह बाजार को कई तरह के सॉफ्टवेयर मुहैया करा रहे हैं। उनका यह कारोबार सिंगापुर के अलावा थाईलैंड और इंडोनेशिया में भी फैला हुआ है।
बिकाश बताते हैं कि उनका जन्म जयनगर में हुआ, पिता इंजीनियर हैं और वह इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में काम करते थे। ऐसे में उनकी स्कूली शिक्षा बरौनी, बड़ौदा, हल्दीया जैसे छोटे औद्योगिक शहरों में हुई। पिता की तरह वह भी इंजीनियर बनना चाहता थे, लेकिन उस वक्त दाखिला नहीं हो पाया। ऐसे में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडीज और फिर एमबीए किया। यहां से निकल फिर बैंगलुरू में जॉब किया और फिर अपनी कंपनी शुरू की। अपनी कंपनी शुरू करने का एकमात्र लक्ष्य था कि अपने समय पर पूरा कंट्रोल रह सके और समाज सेवा में ज्यादा से ज्यादा समय लगा सकें। इसी दौरान उनकी होनेवाली पत्नी अनु से उनकी मुलाकात हुई और फिर शादी हो गई। शादी के बाद उनकी पत्नी जॉब के सिलसिले में सिंगापुर चली गई। बाद में वह भी वहीं शिफ्ट हो गए और फिर अपनी कंपनी शुरू कर दी।
आखिर कैसे बदलेंगे अपने गृहजिला मधुबनी को
बिकाश कुमार ने बताया कि उन्होंने जिस तरीके से एक अंजान देश में अपनी कंपनी खड़ी की और उसे बड़ा किया हैं अब यही काम वह मधुबनी में करने जा रहे हैं। यहां किसी भी क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि के लिए वहां यथेष्ट मानव संसाधन बिजली पानी की सुविधा, ट्रांसपोर्ट एवं यातायात की सुविधा का होना अनिवार्य है। इसके अलावा यह जरूरी है कि उसे क्षेत्र में लोग अपना पूंजी निवेश करने को इच्छुक हैं। आज मधुबनी जिला में कर्मठ लोगों की कोई कमी नहीं है, पानी की कोई कमी नहीं है, बिजली की उपलब्धि में काफी विकास हुआ हैं, दरभंगा में एयरपोर्ट करने के कारण लॉजिस्टिक्स की समस्या भी काफी हद तक बेहतर हो गई है। एक बड़ी कमी यहां पर पूंजी निवेशकों की है। बिकाश, का यह विश्वास है कि अपने पुराने नेटवर्क के जरिए कुछ एक पूंजी निवेशकों को बिहार में उद्यम लगाने की बात करेंगे।
ऐसा करने से मधुबनी जिला में रोजगार उत्पन्न होंगे। परंतु उनकी योजना का एक बड़ा आयाम है कि रोजगार की उत्पत्ति के लिए पूंजी निवेश पर निर्भर नहीं रह सकते। इस दिशा में बिकाश, कई एक नई योजनाओं का कार्यान्वयन कर रहे हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत युवा एवं बेरोजगार लोगों को मधुबनी में ही अच्छे रोजगार के अवसर प्रदान करना।
बिकाश ने आगे बताया कि वह युवावस्था के समय से ही राजनीति में आने की इच्छा रखते थे। शायद यही वजह थी की उन्होंने पहले अपने कंपनी को स्थापित किया और उसे बड़ा किया। राजनीतिक परिवार से कोई नाता नहीं है, ऐसे में आइडिया ये था कि राजनीति में आने के बादजीवनयापन करने के लिए किसी और तरीकों पर निर्भर न रहना पड़े, इसलिए पहले खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत किया। इस वक्त वे प्रशांत किशोर के जन सुराज के साथ जुड़े हैं। क्योंकि हमारे विचार बहुत मिलते हैं. यही नहीं, राजनीति में उनके सबसे बड़े आइडल नंदन निलेकणी हैं। क्योंकि जिस तरीके से उन्होंने सरकार और सरकारी सिस्टम के साथ मिलकर आधार, यूपीआई, फास्टटैग जैसे क्रांतिकारी परिवर्तन किए, ठीक उसी तरह वह भी संसदीय व्यवस्था के साथ खुद को जोड़कर मधुबनी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना चाहते हैं।
साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पास यह विकल्प था की कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत समाज सुधार का काम किया जा जाये। लेकिन उनका यह दृढ़ विश्वास है कि प्रबंधन एवं सरकार और सरकारी सिस्टम से मिलकर किया गया काम और उसका प्रभाव काफी व्यापक होता है। इसका उदाहरण नंदन नीलकानी द्वारा किए गए कई प्रोग्राम में देखा गया है।
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