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चंद्रमा पर प्रज्ञान के उतरते ही छप गया अशोक स्तंभ, ISRO ने जारी किया नया वीडियो

चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के बाद चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) से रोवर प्रज्ञान बाहर निकला तो चांद पर भारत की छाप छोड़ दिया। प्रज्ञान के लैंडर से बाहर आते ही अशोक स्तंभ का चित्र चांद की जमीन पर छपने लगा। साथ इसरो का लोगो भी अंकित होने लगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने इसका ताजा वीडियो ट्वीट कर जारी किया है।

Fact Check: क्या प्रज्ञान रोवर ने चांद पर बनाया अशोक स्तंभ और इसरो का  निशान? जानें वायरल फोटो का सच | fake photo of Chandrayaan 3 Pragyan Rover  Ashoka Pillar and ISRO

इससे पहले इसरो ने कहा था, ”चंद्रयान-3 रोवर : ‘मेड इन इंडिया – मेड फॉर मून’। चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से बाहर निकल आया है और भारत ने चांद की सैर की।” आधिकारिक सूत्रों ने पहले ही लैंडर ‘विक्रम’ से रोवर ‘प्रज्ञान’ के सफलतापूर्वक बाहर निकलने की पुष्टि कर दी थी।

चंद्रयान-3 के एलएम ‘विक्रम’ ने तय समय पर बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह को छुआ, जिससे पूरा देश जश्न में डूब गया। इसरो ने इससे पहले कहा था कि 26 किलोग्राम वजनी छह पहियों वाले रोवर को लैंडर के अंदर से चांद की सतह पर उसके एक ओर के पैनल को रैंप की तरह इस्तेमाल करते हुए बाहर निकाला जाएगा।

rover Pragyan is doing on Moon complete plan of 14 days of Chandrayaan-3 -  India Hindi News - Chandrayaan-3: चंद्रमा पर क्या कर रहा है रोवर प्रज्ञान,  जानें चंद्रयान के 14 दिनों

लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और जिन्हें चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन के उद्देश्य से एक चंद्र दिवस अवधि (करीब 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो के अधिकारियों ने हालांकि इसके अगले चंद्र दिवस तक काम करते रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है। रोवर इस दौरान चांद की सतह पर घूमकर वहां मौजूद रसायन का विश्लेषण करेगा।

लैंडर और रोवर के पास वैज्ञानिक पेलोड हें जो चांद की सतह पर प्रयोग करेंगे। रोवर अपने पेलोड ‘एपीएक्सएस’ (अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) के जरिए चंद्रमा की सतर का अध्ययन करेगा ताकि रासायनिक संरचना की जानकारी प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके।

‘प्रज्ञान’ में भी एक पेलोड – ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) है जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इससे पहले कहा था, ”लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद रैंप और लैंडर के अंदर से रोवर को निकालने की प्रक्रिया की जाएगी। इसके बाद एक के बाद एक सभी प्रयोग होंगे – इन सभी को चंद्रमा पर सिर्फ एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन में पूरा करना होगा।”

 

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