वैशाली: वैशाली प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मंगलवार को 43 एएनएम को औलिया अध्यात्मिक अनुसंधान केन्द्र एवं सांझा प्रयास नेटवर्क के द्वारा सुरक्षित गर्भसमापन के बारे में जानकारी दी गयी। आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च ऑफिसर राम कृष्ण ने विशेष बैठक के दौरान विशेष श्रेणी के महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ाये गए कानून के बारे में जानकारी प्रदान की। इस बैठक में उन्होंने बताया कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समाप्त करने को प्रक्रिया में महिलाओं की मृ’त्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में मे एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई।
अज्ञानता के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन की शर्तों के साथ वैध माना गया एवं एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। जिससे विशेष श्रेणी के महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आर एम पी की राय चाहिए। उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। लिंग जांच के आधार पर गर्भपात कानूनी अपराध है। मौके पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक आशा कार्यक्रम चितरंजन कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सीमा सरोज उपस्थित थी।
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