मुजफ्फरपुर: जब कभी हमारे जहन में खूबसूरत स्वादिष्ट और पौष्टिक फल सेव की तस्वीर उभरती है तो कश्मीर, हिमाचल, अरुणाचल जैसे इलाकों का ध्यान आता है जहां सेब प्रचुर मात्रा में उगाया जाता है। बिहार के किसानों ने इस मिथक को तोड़ दिया है। लीची के शहर मुजफ्फरपुर में एक प्रगतिशील किसान सेब की खेती की खेती शुरू की है। पहले ही सीजन में इस किसान ने दो लाख से ज्यादा की कमाई कर ली है। उनकी प्रेरणा से इलाके के दूसरे किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ इस खूबसूरत फल के उत्पादन की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
बिहार का मुजफ्फरपुर अपनी शाही लीची के स्वाद के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां की लीची लंदन, न्यूयॉर्क, मेलबॉर्न, शिकागो जैसे वैश्विक शहरों में धूम मचा रही है। इस बीच लीची के शहर मुजफ्फरपुर में प्रगतिशील किसान राज किशोर कुशवाहा ने एप्पल मैन के रूप में अपनी भूमिका शुरू कर दी है। 250 पेड़ वाले सेब के बाग से राजकिशोर कुशवाहा अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से पूरब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नरौली गांव जहां राज किशोर कुशवाहा ने सेब का बाग लगाया है। इलाके में लोग उन्हें एप्पलमैन कहने लगे हैं। उनका कहना है की एक पेड़ की कीमत 100रु होती है। इसका पोषण जैविक खाद से किया जाता है। 2 साल के बाद पौधों में फल आना शुरू हो जाता है। एक स्वस्थ पौधे से लगभग 50 किलोग्राम सेब का उत्पादन होता है। 3 साल के बाद बेहतर देखभाल करने से एक पौधे से 100 किलोग्राम तक फल प्राप्त होता है।
राजकिशोर कुशवाहा बताते हैं कि अपने गांव में सेब की खेती की प्रेरणा उन्हें राजस्थान के किसान रामकरण से मिली। 2018 में कुशवाहा राजस्थान के सीकर जिले में गए थे वहां उन्होंने सेब की खेती देखी। वहीं अपने खेतों में सेब के पौधे लगाने की ठान ली। जानकारी के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश जाकर खेती की जानकारी ली।
राजकिशोर कुशवाहा की आधुनिक खेती से इलाके के किसान भी प्रेरित हैं। मुसहरी के नवादा मानसाही गांव के किसान और पूर्व जिला पार्षद मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह कहते हैं कि अभी तक मुजफ्फरपुर की पहचान लीची के लिए थी। राज किशोर ने जिले को नई पहचान दिलाई है। इलाके के अन्य किसान सेब की खेती के लिए प्रेरित हैं। अगर सरकार इसमें उचित सहयोग करे और मार्केटिंग की व्यवस्था करे तो और ज्यादा किसान सेब की खेती से जुड़ेंगे। उन्होंने मांग किया है कि मुजफ्फरपुर में स्थित अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक सेब की खेती की संभावनाओं पर रिसर्च करें और किसानों के तकनीकी सहायता प्रदान करें।
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