Press "Enter" to skip to content

वर्ष 2019 में चमकी बुखार से गई थी 144 से अधिक बच्चों की जान, जानें इस बार कितनी तैयार है सरकार..

कोरोना वायरस के संक्रमण (Coronavirus infection) के लगातार बढ़ते दायरे के बीच  मुजफ्फरपुर में बच्चों पर एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानि चमकी-बुखार का कहर शुरू हो गया है. इस बीमारी से शहर के श्री कृष्ण मेमोरियल कॉलेज एंड अस्पताल (SKMCH) में दो बहनों की मौत हो गई. इसके साथ ही राज्य में इस बीमारी से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही अब इस चमकी बुखार से  पीड़ित बच्चों की संख्या 15 हो गई है. इनमें से 10 बच्चों का इलाज एसकेएमसीएच और सदर अस्पताल में हो रहा है. पीड़ित बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है.

सीएम नीतीश ने दिए ये निर्देश
इसकी गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और संबंधित जिलों के डीएम के साथ मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की थी. वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस मीटिंग में सीएम नीतीश ने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) का पूर्ण टीकाकरण कराएं.

सीएम नीतीश ने निर्देश दिया कि आशा और आंगनबाड़ी कर्मी घर-घर जाकर लोगों को यह जरूर बताएं कि AES के लक्ष्ण दिखने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाएं. बीमारी के संबंध में लोगों को जागरूक करें. बच्चों के माता-पिता को बताएं कि बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाना है.

उन्होंने कहा कि विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर एईएस और जेई की रोकथाम के लिए काम करें. मुजफ्फरपुर में पीआइसीयू जल्द शुरू हो और संबंधित जिलों में पैडियाट्रिक वार्ड पूरी तरह तैयार रहे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों का चौबीस घंटे मौजूद रहना आवश्यक है. अस्पतालों में पूरी साफ-सफाई, दवाओं की उपलब्धता और अन्य सुविधाओं पर विशेष निगरानी रखी जाए.

मुजफ्फरपुर में नया अस्पताल तैयार
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार है. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच परिसर में एक सप्ताह के अंदर नया अस्पताल खुल जाएगा. 100 बेड का नया पीकू वार्ड भी तैयार हो चुका है. 68 बेड का ICU पहले से कार्यरत है. 60 बेड का नया इमरजेंसी शुरू हुआ है.

उन्होंने कहा कि चमकी प्रभावित क्षेत्र में 18 एम्बुलेंस  भेजे गए हैं. 30 और एम्बुलेंस जल्द भेजे जाएंगे. भाड़े पर गाड़ी लाने पर गरीबों को मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी की गई है और अब दूरी के हिसाब से पैसे मिलेंगे. इसके लिए 400 से 1200 रु तक दिया जाएगा.

इन क्षेत्रों में होता है चमकी बुखार का कहर
एक जानकारी के अनुसार बूढ़ी गंडक नदी से सटे जिलों में चमकी बुखार (AES) के मामले अधिक पाए जाते हैं. मुजफ्फरपुर में 60 प्रतिशत मामले और बाकी, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामढ़ी और शिवहर जैसे 16 अन्य जिलों में 40 प्रतिशत केस मिलते हैं. गया के आसपास के जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस के मामले सामने आते हैं.

गया में भी 60 बेड का वार्ड तैयार
बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर गया में भी इसके बचाव और इलाज को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है. स्थानीय अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के प्रचार्य डॉ एचजी के शिशु रोग विभाग में आईसीयू के साथ ही 60 बेड का वार्ड एईएस-जेई के लिए बनाया गया है. डॉक्टरों की ड्यूटी भी शिफ्ट वाइज लगाई गई है. इसके साथ ही सारी दवाइयों की व्यवस्था कर ली गई है.

जिलाधिकारी अभिषेक कुमार सिंह के अनुसार  पिछले साल एईएस के 10 और जेई के 5 मरीज की एएनएमसीएच में इलाज के दौरान मौत हुई थी. इसलिए इस साल एएनएमसीएच में इलाज के साथ ही आम लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए भी काम शुरू किया जा रहा है.

15 वर्षों में 1000 से अधिक बच्चों की मौत
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार 15 वर्षों से बिहार में शासन में बने हुए हैं. उनके शासनकाल में ही अगर मौत के उपलब्ध आंकड़े गिने जाएं तो वर्ष 2009 से 17 जून 2019 तक ये संख्या 1000 से ऊपर पहुंच जाती है. पिछले साल ही विभिन्न जिलों में 144 से अधिक बच्चे इस लाइलाज बीमारी का शिकार हो चुके हैं.

गौरतलब है कि प्रदेश में चमकी बुखार यानी AES से वर्ष 1995 से लगातार बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है, लेकिन अब तक सही से इस बीमारी का कारण तक लगा पाने में सिस्टम नाकाम साबित हुआ है.

Source: News18

Share This Article
More from BREAKING NEWSMore posts in BREAKING NEWS »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *