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“होई ना लालू जी कहरिया, बहंगी लचकत जाए”, जब लालू यादव माथे पर दउरा लेकर पहुंचे छठ घाट

पटना : कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, होई ना लालू जी कहरिया, बहंगी घाटे पहुंचाय। पीछे से गूंजते छठ के ये गीत। चेहरे पर पवित्र ऊर्जा। माथे पर छठ माई की बहंगी। नंगे पांव माथे पर दउरा लेकर घाट पर जाते बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव।

छठ माई के प्रति लालू परिवार की अगाध आस्था की ये अप्रतिम तस्वीर कुछ साल पुरानी है। लेकिन, तस्वीर की तासीर से निकलने वाली छठ के प्रति श्रद्धा और भक्ति आज भी लालू परिवार में देखी जा सकती है। भले कुछ सालों से राबड़ी देवी छठ नहीं मना रही हों, लेकिन एक वक्त ऐसा था। जब पूरे देश में लालू आवास पर मनाई जाने वाली छठ की चर्चा होती थी।

माथे पर दउरा लेकर जाते लालू
छठ पूजा को लेकर लालू हमेशा उत्साहित रहने वालों में से हैं। माथे पर दउरा लेकर घाट जाने वाली ये तस्वीर काफी पुरानी है। लालू यादव उस वक्त बिहार में मुख्यमंत्री थे। उसी समय मुख्यमंत्री आवास पर राबड़ी देवी ने छठ का आयोजन किया। तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव काफी छोटे थे। मुख्यमंत्री लालू यादव उत्साह के साथ परिवार का मुखिया होने के नाते माथे पर दउरा लेकर घाट पर जाते हैं। इस दौरान पीछे से, बहंगी लचकत जाए गीत की गूंज सुनाई देती है। लालू यादव नंगे पांव माथे पर पीले कपड़ों से ढंका दउरा लिये जा रहे हैं। चेहरे पर ओज, हर्षोल्लास और उमंग दिख रहा है।

छठ को लेकर लालू के विचार
छठ को लेकर लालू कहते हैं कि ये पर्व विश्व के सबसे बड़े पूर्ण रूप से इको फ्रेंडली, समतावादी और समाजवादी सोच के प्रतीक का पर्व है। 2018 में जब राबड़ी आवास पर छठ नहीं हुआ। तब लालू दुखी हो गए। उन्होंने उस दौरान सोशल मीडिया पर अपने मन का उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि लोकगीतों में स्त्री व्यक्तित्व की प्रधानता, समानता, सामाजिक समरसता, प्रकृति संरक्षण और जैव विविधता के कई संदेश हैं। मुझे लोक गीतों का सुनना अच्छा लगता है। इनका अपना विशिष्ट स्थान है। लालू ने कहा कि ये पर्व अपने आप में काफी विशिष्ट है। जिसमें किसी पंडित या पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने बताया कि इस पर्व में इस्तेमाल किए जाने वाली सभी वस्तुएं और सामग्री प्राकृतिक होती है।

राबड़ी आवास पर छठ
लालू आवास पर हर साल छठ मनाई जाती रही है। हालांकि, कई मौकों पर राबड़ी देवी की तबीयत नासाज होने। परिवार में उथल-पुथल का दौर होने पर छठ का आयोजन नहीं हुआ। छठ को लेकर लालू का मानना है कि सूर्य की आराधना का ये पर्व इसलिए भी काफी विशेष होता है। क्योंकि, इस पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री हर एक आय वर्ग के लोगों के पहुंच में होती है। यही इस पूजा की सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने इस पर्व में किसी प्रकार की आधुनिकता के प्रदर्शन से इनकार किया। राबड़ी देवी जब 1997 में पहली बार बिहार की मुख्यमंत्री बनीं। उसके बाद उन्होंने किसी सामान्य महिला की तरह छठ व्रत किया। पूरा परिवार मौजूद रहा। बिहार की सियासी गलियारों में कहा जाता है कि बिहार में पहली बार इस लोकपर्व को सत्ता की चमक से जोड़ने का श्रेय राबड़ी देवी को जाता है।

राबड़ी आवास का माहौल
मुख्यमंत्री रहते लालू और राबड़ी जब भी छठ करते। उनके आवास का माहौल अलग हो जाता। आवासीय परिसर में बना तालाब सजाया जाता। सरकार के कई मंत्री एक पांव पर लालू और राबड़ी की मदद करने के लिए खड़े रहते। 2005 के विधानसभा चुनाव में जब राजद की हार हुई, उसके बाद राबड़ी देवी ने इस्तीफा दे दिया। फिर पटना आवास में छठ की रौनक पर असर पड़ा। फिर, लालू के रेल मंत्री बनने के बाद राबड़ी दिल्ली आवास पर भी छठ करने लगीं। 2015 में पटना में जब नीतीश-लालू पहली बार एक हुए और महागठबंधन की सरकार बनी। उसके बाद राबड़ी ने पटना में छठ करना शुरू किया। लालू ने अपने एक बयान में कहा था कि -सूर्य भगवान साक्षात देवता हैं। ये राष्ट्रीय पर्व की तरह है जिसे बिहारी भाइयों ने देश भर में पहुंचाया है। इस पर्व को मुसलमान भी मनाते हैं। हम लोगों ने सालों पहले ये त्योहार पटना के पहलवान घाट पर करना शुरू किया था।

राबड़ी आवास का नजारा
हाल के दिनों में जब राबड़ी छठ करती, तो उनके आवास का नजारा देखते बनता था। पूजा में बेटी, दामाद, नाती, नतनी सभी पहुंचे। छठ पर्व को लेकर राबड़ी देवी खुद चूल्हा बनाती और गेहूं सुखाते हुए खुद प्रसाद तैयार करती। उनके इस पूजा में बिहार की सियासत से जुड़ी हस्तियां पहुंचती। राबड़ी देवी उस दौरान कहती- ये पवित्रता का पर्व है। इसमें जाति धर्म को छोड़ सभी एक होते हैं। सद्भावना की ऐसी मिसाल किसी अन्य त्योहार में नहीं देखने को मिलती है।

इस साल राबड़ी नहीं मनाएंगी छठ
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सिंगापुर में अपनी किडनी का इलाज करा कर दिल्ली वापस लौट आए हैं। वो अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के साथ रहकर सिंगापुर में इलाज करा रहे थे। कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद एक बार फिर से वो अगले चरण के इलाज के लिए सिंगापुर जा सकते है। इसी बीच खबर है कि इस साल राबड़ी देवी छठ नहीं मनाएंगी। लालू फिलहाल जहां अपनी सबसे बड़ी बेटी और आरजेडी की राज्यसभा सांसद मीसा भारती के बंगले में रह रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘राबड़ी देवी का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है और संभावना है कि वह इस बार छठ नहीं मनाएंगी। हमें नहीं पता कि परिवार छठ के दौरान पटना आएगा या नई दिल्ली में रहेगा।’ आपको बता दें कि छठ पर्व पूर्वांचल वासियों की सांस्कृतिक विरासत है। लोक आस्था के इस महापर्व को बिहार में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। खासतौर पर लालू यादव और राबड़ी देवी के घर पर छठ का पर्व पूरी श्रद्धा और पारंपरिक तरीके से मनाया जाता रहा है।

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