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बांग्लादेशी महिला की रिहाई पर मानवाधिकार आयोग स’ख्त, सजा पूरी होने के सात महीने बाद भी नहीं हुई रिहा

बांग्लादेशी महिला रिया आफरीन रूपा के मामले में बिहार मानवाधिकार आयोग ने स’ख्त रुख अपनाया है। आयोग के सदस्य न्यायाधीश उज्ज्वल कुमार दुबे ने सुनवाई करते हुए कहा कि सजा पूरी होने के बाद भी उक्त महिला को सात महीने तक जेल में क्यों रखा गया। उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए अपर मुख्य सचिव को तलब किया है।

बांग्लादेशी महिला के रिहाई की चल रही कवायद। - Dainik Bhaskar

पी’ड़ित महिला की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा आयोग में मामले की पैरवी कर रहे हैं। आयोग ने मामले में कहा कि पी’ड़ित महिला को करीब सात महीने तक अवैध रूप से जेल में रखकर उसके मानवाधिकार का अतिक्रमण किया गया है। आयोग ने मामले में 29 नवंबर तक अपर मुख्य सचिव से जवाब की माँग की है। जिसपर 7 दिसंबर को सुनवाई होनी है।

2019 में दलाल लेकर आया था

बांग्लादेश के खालिसपुर, जिला- खुलना की रहनेवाली रिया आफरीन रूपा को 2019 में स्थानीय दलाल के द्वारा नौकरी का झाँ’सा देकर भारत लाया गया और मानव त’स्करों के ह’वाले कर दिया गया। 12 अक्तूबर 2019 को नालंदा जिला के नूरसराय थाना क्षेत्र के अहियापुर गाँव में भटकती हुई उक्त महिला को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस ने बिना पासपोर्ट भारत में प्रवेश करने के जुर्म में उसे जेल भेज दिया। त्वरित न्यायालय प्रथम बिहारशरीफ (नालंदा) ने उसे एक साल की सजा सुनाई और 500 रुपए का अर्थ दंड भी लगाया। 500 रुपया अर्थ दंड नहीं देने की स्थिति में सात दिनों का अतिरिक्त कारावास भी उस महिला ने काटी।

उक्त महिला, कारावास की सजा पूरी कर 22 जनवरी 2021 को जेल से बाहर निकलने वाली थी। नाम पता का सत्यापन नही होने के कारण महिला, मंडल कारा बिहारशरीफ में ही पड़ी रही।

आयोग तक पहुंचा मामला

मामले की जानकारी जब मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस. के. झा को हुई, तब उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली एवं बिहार मानवाधिकार आयोग, पटना को दिए, तत्पश्चात आयोग ने अपने स्तर से जांच शुरू कर दी।

झा के हस्तक्षेप के बाद 14 अगस्त 2021 को इस महिला को बिहार सुधारात्मक प्रशासनिक संस्थान हाजीपुर में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां पर वह महिला आज भी रह रही है और अपने वतन वापसी का इंतजार कर रही है।

बिहार मानवाधिकार आयोग में 29 अगस्त 2022 को मानवाधिकार अधिवक्ता ने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा, जिसपर सुनवाई करते हुए बिहार मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायाधीश उज्ज्वल कुमार दुबे ने गृह विभाग बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव से 29 नवंबर तक जवाब की माँग की है।

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