पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह से पहले सी जले-भुने और नाराज चल रहे जेडीयू के नेता उनके इस बयान से और भड़क गए हैं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृपा से मंत्री बने। तकनीकी तौर पर इसमें कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मंत्री कौन बनेगा, ये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ही तय करते हैं।
लेकिन गठबंधन की राजनीति में सहयोगी पार्टियां भी इस सेलेक्शन में अहम भूमिका निभाती हैं। जेडीयू में यह भूमिका नीतीश कुमार की है जो 2021 के मोदी कैबिनेट विस्तार से पहले उन्होंने आरसीपी सिंह के हवाले कर दी थी और आरसीपी सिंह अकेले मंत्री बन गए थे।
आरसीपी सिंह के पीएम मोदी की कृपा वाले बयान से जेडीयू नेता गुस्से में हैं और कह रहे हैं कि जेडीयू में कोई नेता जो भी कुछ बना है या बनता है वो नीतीश कुमार की कृपा से बना है और बनता है। अगर सीधे शब्दों में कहें तो जेडीयू नेता बिना पीएम का नाम लिए कह रहे हैं कि आरसीपी सिंह मंत्री नीतीश कुमार की कृपा से बने थे और अब अगर वो पीएम मोदी का नाम ले रहे हैं तो ये गलत बात है। आरसीपी सिंह ने कहा था कि वो अपनी मेहनत से सब कुछ बने हैं। जेडीयू वाालों को ये भी नागवार गुजरा।
पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद से लेकर बिहार सरकार में सीनियर मंत्री अशोक चौधरी तक ने गिना दिया कि नीतीश कुमार ने ही आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेजा, दोबारा सांसद बनाया, पार्टी का महासचिव बनाया, जेडीयू का अध्यक्ष भी बनाया।
अरविंद निषाद ने आरसीपी सिंह के जेडीयू अध्यक्ष रहते विधानसभा में पार्टी की सीट 71 से 43 होने की याद दिलाकर उनके योगदान और मेहनत पर सवाल उठाया। अशोक चौधरी ने पीएम मोदी की कृपा से मंत्री बना बयान को आधार बनाकर कहा कि फिर तो यह साबित हो गया कि उनके मंत्री बनने में नीतीश कुमार की सहमति नहीं थी।
कभी नीतीश कुमार के दुलारे रहे आरसीपी सिंह की राजनीतिक पारी इस समय भंवर में फंस गई है। नीतीश तब से ही नाराज हैं जब वो मोदी सरकार में अकेले मंत्री बने। उसके बाद से दोनों नेताओं के बीच दूरी घटने के बजाय बढ़ती ही गई। नौबत ये आ गई कि आरसीपी सिंह को तीसरी बार राज्यसभा भेजने से नीतीश ने मना कर दिया और उनकी सांसदी लटक गई। नतीजा हुआ कि उनको मंत्री पद छोड़ना पड़ा। आरसीपी अब बिहार पहुंच चुके हैं और अपने बयान से जेडीयू नेताओं को अहसास करा रहे हैं कि वो शांत नहीं बैठेंगे।
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