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दिल्ली : एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंधः पर्यावरण संरक्षण के बीच रोजगार की चुनौतियां

नई दिल्ली : एक जुलाई से सरकार ने पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है । आजादी के अमृत महोत्सव की बेला में सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से अहम है लेकिन इसके अमल के रास्ते चुनौतीपूर्ण हैं । पर्यावरणविदों की राय है कि सरकार की इस पहल का पर्यावरण पर सकारात्मक असर होगा, वहीं सरकार को इन कंपनियों से जुड़े करोड़ों रोजगार के पुनर्वास का भी ख्याल रखना होगा ।

पर्यावरणविद सुनीता नारायण कहतीं हैं, प्लास्टिक से बचने के लिए हमें त्रिस्तरीय रणनीति पर काम करना होगा । अपशिष्ट प्लास्टिक का पुर्ननवीनीकरण, पुनः उपयोग और निपटान पर्यावरण अनुकूल हो, यह सुनिश्चित करना होगा । यूं ही पिछले दो वर्षों में महामारी के दौरान रोजगार और अर्थव्यवस्था को लेकर देश संकट के दौर से गुजर रहा है ।

ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर दौड़ाए रखने के प्लास्टिक उद्योग पर तालाबंदी की तलवार से बचाने के वैकल्पिक उपाय भी सरकार को करने होंगे। यही कारण है कि बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने लघु उद्यमी भारत के तहत छोटे-कुटीर और मध्यम उद्योगों के लिए रैंप योजना के तहत करीब 6 हजार करोड़ की क्षमता निर्माण योजना को अमल में लाया।

पीएम मोदी का दावा है कि पिछले 8 वर्षों में उनकी सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को मजबूती प्रदान करने के लिए करीब 650 फीसदी बजट का इजाफा किया है। अब एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए और सरकार को आपूर्ति के लिए जीईएम पोर्टल पर पंजीकरण की अपील की है। अब जब 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक समूचे देश में पूरी तरह प्रतिबंधित किया जा रहा है तो प्लास्टिक निर्माण कंपनियों ने अब तक वैकल्पिक स्त्रोत की व्यवस्था नहीं की है ।

ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरसर् एसोसिएशन (एआईपीएमए) के चेयरमैन हितेन भेदा ने कहा, इस पर सरकार को पूर्ण विचार करने की जरुरत है । सरकार, जीवनचक्र एवं पर्यावरण विश्लेषण जैसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर विचार कर पता लगाए कि कौन – सी चीज़ पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है ? हम सरकार के साथ मिलकर इसके सही विकल्प ढूंढने और उस पर धीरे – धीरे प्रतिबंध लगाने पर सहमत हैं । इस तरह आधुनिक तकनीक से बीच का हल निकाला जा सकता है ।

सरकार की बात 

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, सिंगल यूज प्लास्टिक पर नियंत्रण की कमान अब आम जनता के हाथों में होगी । जारी किए गए एप के माध्यम से आम जनता इसके इस्तेमाल की शिकायत सीधे सरकार को कर सकेगी । प्रत्येक राज्य में नियंत्रण कक्ष बनाए जाएंगे साथ ही विशेष प्रवर्तन दल इसकी निगरानी करेंगे । इसके अलावा राज्यों की सीमा पर जांच केंद्र भी बनेंगे ।

प्लास्टिक उद्यमियों की चिंता 

एआईपीएमए के चेयरमैन हितेन भेदा ने कहा, इससे देशभर में 60 लाख इकाइयां और 40 लाख मजदूरों पर असर पड़ेगा तो वहीं 25 से 50 फीसदी छोटे उद्योग पूरी तरह बंद हो जायेंगे । सूक्ष्म एवं लघु मध्यम उद्यम ( एमएसएमई ) द्वारा उद्यमियों के लिए लाई गई योजनाएं पर्याप्त नहीं हैं । जल्दबाजी में यह कदम उठाया जा रहा है, इतनी जल्दी किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया है ।

क्या है प्रावधान

पर्यावरण संरक्षण कानून की धारा 15 के तहत 1 जुलाई से 19 उत्पादों को बनाते, बेचते, भंडार करते या निर्यात करते हुए कोई पाया गया तो उसे 7 साल तक की कैद और 1 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है ।

 

इन पर लगी रोक 

प्लास्टिक स्टिक वाले ईअर बर्ड्स, गुब्बारों के प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्माकोल, प्लास्टिक की प्लेट, गिलास, कप, कांटे चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को पैक करने वाली फिल्म, निमंत्रण पत्र, सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, स्टिरर, और चम्मच ।

ऐसे लगेगी रोक 

  • – सरकार ने कहा, एक जुलाई से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ।
  • – उत्तर प्रदेश में बुधवार को विशेष अभियान चलाया जाएगा ।
  • – केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केंद्रीय और राज्यों के स्तर पर निगरानी तंत्र और शिकायत निवारण तंत्र के लिए एप विकसित किया है ।
  • – नियमों की अवहेलना पर विशेष जांच दल का गठन होगा ।
  • – नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए सीपीसीबी ने शिकायत निवारण एप शुरू किया ।
  • – जन – जन तक व्यापक पहुंच के लिए “ प्रकृति “ नामक शुभंकर लौंच किया गया ।

सरकार छोटे उद्यमी, मजदूरों को दे सहायता राशि: हितेन

एआईपीएमए के चेयरमैन हितेन कहते हैं, छोटे उद्यमी और मजदूरों को सरकार सहायता राशि दे । उद्यमियों के कर्ज को माफ करे । सरकार, प्राकृतिक आपदा के समय पीड़ितों की मदद करती है । मजदूरों और उद्यमियों के लिए भी यह एक आपदा है । इस पर सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया ।

गौरतलब

  • – देशभर में 25 से 50 फीसदी छोटे प्लास्टिक निर्माण उद्योग पूरी तरह बंद हो जाएंगे ।
  • – करोड़ों मजदूर होंगे बेरोजगार, 40 लाख मजदूरों पर सीधा असर
  • – हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक निगलने से मौत हो जाती है ।
  • – राजधानी दिल्ली 7वां सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचड़े से भरा राज्य घोषित
  • – राजधानी दिल्ली में सिंगल यूज प्लास्टिक का सबसे ज्यादा प्रयोग
  • – दिल्ली में प्रतिदिन 690 टन सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण हो रहा है ।
  • – हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक पैदा करते हैं भारतीय

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक

  • दुनियाभर में हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बोतल खरीदी जाती है । 5 लाख प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल होता है ।
  • – प्लास्टिक से बने आधे से ज्यादा उत्पाद सिंगल यूज के लिए होते हैं ।
  • – हर साल 40 करोड़ टन प्लास्टिक कचड़ा पैदा होता है ।
  • – करीब 20 करोड़ टन प्लास्टिक कचड़ा समुद्र में है ।
  • – 2040 तक हर साल 3.7 करोड़ टन प्लास्टिक कचड़ा समुद्र में इकट्ठा होने का अनुमान है ।

भारतीय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक

 

  • – देश में प्रतिदिन 26 हजार टन प्लास्टिक कचड़ा जमा होता है ।
  • – मात्र 60 फीसदी कचड़ा इकठ्ठा होता है, बाकी नदी – नालों में पड़ा रहता है ।
  • – प्रतिदिन 40 फीसदी की दर से प्लास्टिक प्रदूषण फैल रहा है ।
  • – हर साल औसतन एक व्यक्ति 11 किलो प्लास्टिक इस्तेमाल करता है और 18 ग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचड़ा फेंकता है ।
  • – देशभर में हर साल 41.26 लाख टन प्लास्टिक कचड़ा निकलने का है अनुमान
  •  v 31 दिसंबर से 120 माइक्रोन से कम मोटा प्लास्टिक भी बंद
  •  v गंगा नदी प्लास्टिक कचड़े से सर्वाधिक प्रदूषित है, यहीं से समुद्र में जाते हैं सबसे ज्यादा कचड़े । ( नेचर कम्युनिकेशन की रिपोर्ट, 2017 )

इन राज्यों के मजदूर एवं इकाइयां ज्यादा होंगी प्रभावित

गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक ।

( कोरोना लॉकडाउन में भी इन्हीं राज्यों के मजदूरों पर पड़ा था सबसे ज्यादा प्रभाव )

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