कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया में भयावह स्थिति बनी हुई है। अब एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में कोरोना पर चीन से एक राहत भरी खबर आ रही है। घातक कोरोना वायरस का मुकाबला करने के तौर-तरीके ढूंढने में दुनियाभर के वैज्ञानिकों के जुट जाने के बीच चीन ने इसके टीके के लिए क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है।
यह ट्रायल का दूसरा फेज बताया जा रहा है। दरअसल, कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार के बीच दुनियाभर में इसकी दवाई ढूंढने की रेस तेज हो गई है। यह वैक्सीन चीन के इंस्टिट्यूट ऑफ बायोटेक्नॉलजी, अकैडमी ऑफ मिलिटरी मेडिकल साइंसेंज ऑफ चाइना द्वारा बनाई गई है। मानव शरीर पर रविवार को इसका दूसरी बार ट्रायल शुरू किया गया। इस काम में 500 वॉलिंटियर को लगाया गया है।
दूसरे फेज में वैक्सीन की क्षमता की जांच
सरकारी मीडिया चाइना डेली के मुताबिक, सबसे अधिक उम्र के वॉलिंटियर की उम्र 84 साल है वो वुहान के रहने वाले हैं। उन्हें सोमवार को वैक्सीन दी गई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि वैक्सीन को जेनेटिक इंजिनियरिंग पद्धति से बनाया गया है और यह कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली बीमारी को रोकता है। पहले फेज में वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में मुख्य ध्यान इसकी सुरक्षा पर था, बल्कि दूसरे फेज में ध्यान इसकी क्षमता पर दिया जा रहा है। पहले फेज से उलट, दूसरे में ज्यादा लोगों को जोड़ा गया और वॉलिंटियर्स को इससे जोड़ने का अभियान गुरुवार को ही शुरू कर दिया गया था। पहला फेज मार्च में पूरा हो गया था।
वैक्सीन बनाने में चीन को मिली शुरुआती बढ़त
मौजूदा समय में घातक कोरोना वायरस को रोकने के लिए कोई प्रभावी दवा मौजूद नहीं है। हालांकि, कई देशों में दवाइयों का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन ने वैक्सीन के निर्माण में संभवतः शुरुआती बढ़त ले ली है। इसकी वजह यह है कि वह नोवेल कोरोना वायरस के जीनोम सिक्वेंस की मैपिंग कर चुका है और वह इसलिए क्योंकि वायरस का मामला सबसे पहने चीनी शहर वुहान में ही आया था। चीन ने इसके बाद डब्ल्यूएचओ, अमेरिका और अन्य देशों के साथ जीनोम सिक्वेंस को साझा किया है
Source: Jagran
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