हिजाब को लेकर आए कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का विरो’ध भी शुरू हो गया है। बुधवार को कर्नाटक के उडुपी में छह मुस्लिम छात्राएं बुधवार को कक्षाओं में नहीं गईं और उन्होंने परीक्षाएं नहीं दीं। हिजाब के मुद्दे पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। इसके साथ-साथ कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के उस आदेश को भी बरकार रखा है जिसमें कॉलेज परिसर में किसी भी उस कपड़े के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है जो शांति, सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकता है।
मिली जानकारी के मुताबिक, हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी छात्राएं अपने स्टैंड पर अड़ी है कि वे बिना स्कार्फ के कॉलेज में प्रवेश नहीं करेगी और कानूनी रूप से केस लड़ें’गी। वे प्री-यूनिवर्सिटी कक्षाओं की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान भी अनुपस्थित रहीं। शिवमोगा के कमला नेहरू कॉलेज में 15 लड़कियां यह कहकर घर लौट गईं कि वे बिना हिजाब पहने कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी। इसी कॉलेज में पूर्व में हिजाब वि’वाद को लेकर सम’स्याएं हुई थीं। शिवमोगा में हाल में बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की ह’त्या कर दी गई थी, जिससे तना’व पैदा हो गया था।
15 लड़कियां बुर्का और हिजाब पहनकर पहुंचीं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी, जिसके बाद छात्राओं ने कक्षाओं में नहीं जाने का फै’सला किया। उनमें से एक ने संवाददाताओं से कहा कि हिजाब उनका धार्मिक अधिकार एवं पहचान है और वे इसके बिना कॉलेज में प्रवेश नहीं कर सकतीं।
एक अन्य छात्रा ने कहा, ‘आज अपना असाइनमेंट जमा करने का आखिरी दिन था, लेकिन हमें कक्षा के अंदर नहीं जाने दिया गया। हमने कॉलेज के अधिकारियों से अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन कॉलेज ने कहा कि अदालत के आदेश का पालन किया जाना चाहिए। यह प्रधानाध्यापक या शिक्षकों की गलती नहीं है। दरअसल हमें न्याय नहीं मिला।’
इस बीच, उत्तर कन्नड़ जिले के मुस्लिम बहुल भटकल शहर में, व्यापारियों के एक वर्ग ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर ‘अपना असं’तोष जताने’ के लिए बंद का आयोजन किया। भटकल के बर्मा बाजार, मेन रोड, मदीना कॉलोनी और नवायत कॉलोनी में सड़कें वीरान नजर आईं।
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