देश में जहां लॉकडाउन की स्थिति में लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं वहीं घरों के अंदर घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली शिकायतें लॉकडाउन के दौरान बढ़कर दुगनी हो गई हैं. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि फ्रांस, इटली और पेरिस जैसी जगहों पर भी घरेलू हिंसा के मामलों में 30 से 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
लॉकडाउन यूं तो सबकी परेशानी को बढ़ाए हुए है, लेकिन महिलाओं की परेशानी और बढ़ गई है जो अपने ही घरों में घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. 23 मार्च से अब तक राष्ट्रीय महिला आयोग को घरेलू हिंसा से जुड़ी करीब 80 शिकायतें मिली हैं. लॉकडाउन से पहले दो हफ्तों के दौरान घरेलू हिंसा की लगभग आधी शिकायतें राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलती थीं.
यह स्थिति तब है, जब लॉकडाउन के दौरान ना तो महिलाएं थाने तक अपनी शिकायत करने के लिए पहुंच पा रही हैं और ना ही उनकी चिट्ठी डाक द्वारा पहुंच रही है. कानून विशेषज्ञ कपिल सांखला का मानना है कि इस वक्त पुलिस को पूरे देश के लिए ऐसी हॉटलाइन बनानी चाहिए, जिसमें व्हाट्सएप और मैसेंजर की भी सुविधा हो, ताकि महिलाएं सीधे पुलिस को अपनी समस्याएं बता सकें.
घरेलू हिंसा से जुड़े मामले सिर्फ भारत में ही बढ़े हों, ऐसा नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहां-जहां लॉकडाउन हुआ है वहां-वहां घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतें बढ़ गई हैं. लॉकडाउन में लोग काफी हद तक मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. ज्यादातर पुरुषों को चिंता है कि उनकी अपनी नौकरियां छूट सकती है. इसलिए मानसिक तनाव महिलाओं पर घरेलू हिंसा के रूप में नजर आ रहा है. फ्रांस में घरेलू हिंसा के मामले 32 फीसदी तक बढ़ गए हैं, जबकि पेरिस में 36 फीसदी तक. यह मामले तब बढ़े हैं जब पुलिस कह रही है कि उनको फोन कॉल आनी कम हुई है.
महिला पुलिसकर्मी जो अक्सर हेल्प डेस्क पर घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों की कॉल को रिसीव करती हैं, उनका मानना है कि फिलहाल पुरुषों के घर पर ही रहने के कारण घरेलू हिंसा के मामलों की शिकायत महिलाएं कम कर पा रही हैं. शहरों में रहने वाली महिलाएं ज्यादातर मेल कर या फिर किसी पड़ोसी की मदद से अपनी शिकायतें दर्ज करा रही हैं.
Source: Aajtak
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