यूक्रेन पर रूस के ह’मले के बाद से सभी की नजरें वहां फं’से छात्रों पर टिकीं हैं। देश भर के अलग अलग राज्यों के साथ ही बिहार के भी काफी छात्र यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। यूक्रेन में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों की मौजूदगी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हैरा’नी ज’ताई है।
बिहार विधानसभा में बहस के दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि “इस घ’टना ने अहसास करा दिया है कि देश के निजी संस्थानों में मेडिकल की पढ़ाई कितनी महं’गी है। मुझे आश्चर्य है कि इतने सारे लड़के और लड़कियां अपनी पढ़ाई के लिए इस तरह से दूर’स्थ देश का चयन कर रहे हैं।”आगे कहा कि सोवियत काल की तुलना में यह एक अलग परिदृश्य है जब कम्युनिस्ट पार्टियों से जुड़े लोगों के बच्चे रूस और आसपास की भूमि पर मेडिकल की पढ़ाई के लिए आते-जाते थे।
संजीव कुमार और देवेश कांत सिंह सहित 20 विधायकों द्वारा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में मुख्यमंत्री बोल रहे थे। एनडीए से ही जुड़े दोनों विधायकों ने इस प्रस्ताव के जरिये देश के निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस निर्धारण की मांग भी की हैं। सीएम नीतीश ने कहा कि एमबीबीएस पढ़ाई करीब 15 लाख रुपये प्रति वर्ष में हो रही है। जो यूक्रेन की तुलना में करीब तीन गुना है। ऐसे में नेपाल, फिलीपींस, चीन जैसे देशों के छात्रों के लिए बहुत ज्यादा है।
नीतीश कुमार ने कहा कि ‘मुझे आश्चर्य है कि यूक्रेन जैसे देश में सस्ती पढ़ाई हो रही है, इस बारे में कितने लोग जानते हैं। सूचना वि’स्फोट कराने वाली सोशल मीडिया के प्रसार से भी इसका कुछ लेना-देना नहीं है। फिर भी, जिन कारणों से वे अब तक वहां जाते रहे हैं, उसे राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप में देखने की जरूरत है। प्रस्ताव पर अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि सदस्यों की चिंताओं से शुल्क निर्धारण समिति को अवगत कराया जाएगा। इसका गठन सुप्रीम कोर्ट के फै’सले के अनुसार किया गया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार अब तक बिहार से 144 लड़के और लड़कियों को यूक्रेन से वापस लाया गया है। यह छात्र राज्य के सभी 38 जिलों के रहने वाले हैं।
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