धार्मिक मान्यताओं और चिन्हों को लेकर देश में सियासत ग’र्म है। कुछ दिन पहले कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहन कर स्कूल आने पर उठे सवा’ल के बाद देश भर में हिजाब पर ब’हस छि’ड़ गई है। मगर अब बिहार में स्वास्तिक चिन्ह को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। बिहार विधानसभा के 100 साल पूरा होने पर विधानसभा के मेन गेट पर बनाए जाने वाले शताब्दी स्मृति स्तंभ पर स्वास्तिक चिन्ह होने पर नेता वि’पक्ष तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया है। मिली जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर स्मृति चिन्ह स्तंभ के मॉडल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ तस्वीर डालते हुए कहा कि आजादी के बाद पहला ऐसा स्तंभ होगा जिसमें अशोक चक्र नहीं लगा होगा। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को ध्वस्त करते हुए अशोक चक्र की जगह स्वास्तिक चिन्ह लगाया है। नेता विपक्ष के उठाए सवाल पर जवाब देते हुए बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा ने तेजस्वी यादव की समझ पर सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव में समझ की कमी है, अगर जानकारी नहीं तो पहले जानकारी लेनी चाहिए थी। स्वास्तिक का चिन्ह कोई नया नहीं है, बल्कि यह बिहार के राजकीय चिन्ह में भी शामिल है। यही नहीं, तेजस्वी यादव के लेटर पैड और तमाम विधायकों के लेटर पैड पर भी स्वास्तिक का चिन्ह शामिल होता है। तेजस्वी के धर्मनिरपेक्षता पर उठाए गए सवाल पर विजय सिन्हा ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब अपने धर्म को भूल जाना नहीं होता, धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों को मानेंगे पर अपने धर्म और उसके प्रतीक चिन्हों को भी अगले पीढ़ी के लिए बचा कर रखना जरूरी होता है। ऐसी बातें राष्ट्र गौरव को कमजोर करती हैं।
स्वास्तिक चिन्ह पर तेजस्वी यादव के उठाए सवालों का जवाब देते हुए जेडीयू ने पूछा क्या तेजस्वी नास्तिक हैं। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि बिहार का मुख्यमंत्री बनने के लिए तेजस्वी यदाव ने दिन-रात पूजा की, लेकिन अब स्वास्तिक चिन्ह पर सवाल खड़े कर रहे हैं। विधानसभा का सदस्य होने के बावजूद लगता है कि उन्होंने सदन का मुआयना नहीं किया है, क्योंकि सदन मैं भी स्वास्तिक चिन्ह लगा हुआ है। वहीं, स्वास्तिक चिन्ह पर तेजस्वी यादव के उठाए गए सवाल का कांग्रेस ने समर्थन किया है। कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने तेजस्वी की बात का समर्थन करते हुए कहा कि अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी और आरएसएस के पदचिन्हों पर चलने लगे हैं, यही कारण है कि अशोक चक्र की जगह स्वास्तिक को बढ़ावा दे रहे हैं।
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