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बिहार चु’नाव में NDA के लिए चुनौ’ती है युवा ने’तृत्व का मुद्दा, तेज’स्वी और चि’राग कर सकते हैं प्र’भावित

बिहार विधान’सभा के चुना’व में इस बार युवा मुद्दा स’बसे अहम है। राज्य में सत्ता’रूढ़ भाज’पा-जद (यू) के सा’मने चुनौ’ती दे रहे दलों की अगु’वाई युवा ने’ताओं के हाथों में है। चु’नाव मैदान में भी इस बार कई युवा नेता किस्म’त आज’मा रहे हैं। ऐसे में रा’ज्य में पह’ली बार वोट डा’लने जा रहे लग’भग 75 लाख युवा मतदा’ता अहम साबित हो स’कते हैं।

 

बिहार का विधान’सभा चु’नाव इस बार कई माय’नों में अलग तरह का है। सत्ता’रूढ़ गठ’बंधन और विप’क्षी गठबंध’नों में चु’नाव के ठीक पहले दरा’र पड़ी। एन’डीए का एक घ’टक दल लो’जपा तो अलग से चु’नाव मैदान में डटा हुआ है और खुद को भाज’पा का अ’सली साथी भी ब’ता रहा है। ज’बकि भा’जपा लगा’तार उस से दूरी दि’खाने की कोशि’श कर रही है, ताकि भाज’पा और जद’यू गठबं’धन पर अ’सर ना पड़े।

तेजस्वी व चिराग युवा चेहरे

 

इन सब’के बीच सब’से बड़ा मुद्दा युवा नेतृ’त्व का है। ए’नडीए का नेतृ’त्व कर रहे मुख्य’मंत्री नीती’श कुमार और उपमु’ख्यमंत्री सुशील कु’मार मोदी के सा’मने राज’द के नेता तेज’स्वी यादव और लोज’पा नेता चिराग पास’वान युवा होने के युवा होने के कार’ण युवाओं को ज्यादा प्रभा’वित कर सकते हैं। चु’नाव मैदान में भी इस बार कई यु’वा नेता अपनी किस्म’त आ’जमा रहे हैं। इनमें एक प्र’मुख नाम शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा का भी है। अन्य कई नेताओं के बेटे बेटियां भी राजनी’तिक वि’रासत को आगे ब’ढ़ाने में जुटी हुई हैं।

 

एनडीए का जोर विका’स व अनुभवी नेतृत्व पर

 

भा’जपा और जदयू की तुलना में विपक्षी खेमे के पास युवा नेतृत्व होने से एनडीए की चिंताएं बढ़ी हुई है। वह कोशिश कर रहा है कि चुनावी मुद्दों में युवा फैक्टर आगे ना आए बल्कि अनुभव, विकास और केंद्र के साथ रिश्ते हावी रहें। साथ ही बिहार की विकास योजनाओं की चर्चा हो और राज्य सरकार के कामकाज पर जनता वोट करें। इसके साथ ही वह राजद के पुराने कार्यकाल की याद भी जनता को दिला रही है।

भाजपा का युवा मोर्चा जुटा

 

इन सबके बीच एनडीए की चिंताएं बरकरार हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने अपने युवा मोर्चा और अन्य कार्यकर्ताओं को युवाओं के बीच प्रधानमंत्री मोदी को आगे रखकर एनडीए के लिए समर्थन जुटाने की रणनीति बनाई हुई है। इसके लिए पार्टी हर विधानसभा स्तर पर अलग-अलग काम कर रही है, लेकिन जिन सीटों पर उसके अपने उम्मीदवार नहीं हैं, वहां इस बारे में कितना काम हो पाएगा, इसे लेकर संशय है।

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