पटना: बिहार के मेडिकल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पहल शुरू कर दी है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से वहां मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराई जा रही है। बिहार में भी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है। यह टीम एमपी के भोपाल जाएगी और बिहार में भी एमबीबीएस के कोर्स को हिंदी में तैयार करने को लेकर रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी।
इस टीम में राज्य स्वास्थ्य समिति के मानव संसाधन प्रभारी राजेश कुमार, बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के एकेडमिक डीन डॉ. मिथिलेश प्रताप और पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के क्लिनिकल पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र प्रसाद शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने टीम को निर्देश दिया है कि वह 5 जून तक अपनी रिपोर्ट विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को सौंप दे। एसीएस प्रत्यय अमृत ने टीम का गठन किया है।
टीम की अधिसूचना मंगलवार को जारी की गई। इस टीम को जिम्मेवारी सौंपी गई है कि वह मध्य प्रदेश जाकर वहां पर हिंदी माध्यम से कराए जा रहे मेडिकल के तमाम शैक्षणिक कार्यों का अध्ययन करे। साथ ही वहां पर किस प्रकार से हिंदी में एमबीबीएस सहित अन्य उच्चतर पाठ्यक्रमों को तैयार किया गया है, इसे देखे। वहां का सिलेबस क्या है। कैसे शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में स्वस्थ्य विज्ञान जैसे जटिल विषय को पढ़ाया जा रहा है। इस बारे में विस्तृत जानकारी लेकर आए।
टीम को निर्देश दिया गया है कि बिहार में हिंदी में मेडिकल कोर्स को कैसे तैयार किया जाए, इसका पूरा ड्राफ्ट तैयार करे। पाठ्यक्रम की रूपरेखा क्या होगी। कैसे इसे अमल में लाया जाएगा। टीम भोपाल में दो दिनों तक इसका अध्ययन करेगी। साथ ही उसको यह जिम्मेदारी दी गयी है कि लोकसभा चुनाव के पहले तक रिपोर्ट सौंप दे। चुनाव परिणाम आने के बाद विभाग इस दिशा में त्वरित गति से कार्रवाई करेगा।
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