MUZAFFARPUR : सीबीआई ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक आश्रय गृह में कई लड़कियों के यौ’न उत्पी’ड़न के मामले में आजी’वन का’रावास की स’जा काट रहे बृजेश ठाकुर की दिल्ली उच्च न्या’यालय में दा’यर एक याचि’का का मंगलवार को वि’रोध किया. याचिका में ब्रजेश ठाकुर ने उस पर लगाए गए करीब 32 लाख रुपये के जु’र्माने को स्थ’गित करने की अपी’ल की है.
ब्रजेश ठाकुर को आखि’री सांस आजी’वन का’रावास की सजा सुनायी गयी है. सीबीआई ने कहा कि ठाकुर पर जु’र्माना लगाए जाने के मामले में कोई पू’र्वाग्रह नहीं ब’रता गया है क्योंकि उसे यौ’न उत्पी’ड़न, ष’ड्यंत्र और अपह’रण के कई गंभी’र मामलों के तहत दो’षी क’रार देते हुए आजी’वन का’रावास की स’जा सुनायी गयी है. जां’च एजेंसी ने अपने जवाब में कहा कि जु’र्माना उचित और न्या’य हित में है तथा ठाकुर इस जु’र्माने का भुग’तान करने के लिये बा’ध्य है. यह मामला न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ के समक्ष आया था.
पीठ ने कहा कि सीबीआई का जवाब रि’कॉर्ड पर नहीं है. पीठ ने वकील को यह सुनि’श्चित करने का निर्दे’श दिया कि एजेंसी का जवाब उसके समक्ष रखा जाए. उच्च न्यायालय इस मामले में निचली अदा’लत के फै’सले को चुनौ’ती देने वाली ठाकुर और सह-दो’षी तथा बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप वर्मा द्वारा दायर अपी’लों पर सुनवाई कर रहा था. वर्मा को भी निचली अदालत ने इस मामले में मृ’त्यु होने तक आजी’वन का’रावास की स’जा सुनाई है.
इस मामले में निचली अदा’लत का रिकार्ड 86,000 पन्नों का है. इस लिए उच्च न्यायालय ने वर्मा की ओर पे’श वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर और ठाकुर की ओर से पेश वकील प्रमोद कुमार दुबे को संबंधित दस्तावेजों का संकलन कर उन्हें पे’श करने के लिये कहा. अदालत ने मामले की सुनवाई 15 सितंबर तक स्थ’गित कर दी. दिल्ली की एक निचली अदालत ने ठाकुर को ”मृ’त्यु तक क’ठोर आजी’वन का’रावास” की स’जा सुनाते हुए 32.20 लाख रुपये का भारी भरकम जु’र्माना लगाया था.
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